जीवन का अर्थ
जीवन का अर्थ। जो खोजने गया,वो खो गया। जो ठहर गया ,वो पा गया।। न कोई मंजिल है।न कोई रास्ता है। न कोई आगे है।न कोई पीछे है। न कोई अपना है।न कोई पराया है। सब खेल है।सब माया है। समस्त संसार एक चित्र है। जिसे ब्रह्म रच रहा है। जो निरंतरता से, परिवर्तित हो रहा है। अपरिवर्तनीय, अखण्ड, अमर,अनिर्वचनीय,सतचिदानंद ब्रह्म ही इसे अनुभव कर रहा है। जागो,जागो और तुरंत जागो। महेश जी सेठ, 11-02-2021