ईश्वर की दुकान
*सत्संग की दुकान* ---------------------- *एक दिन मैं सड़क से जा रहा था, रास्ते में एक जगह बोर्ड लगा था, ईश्वर की दुकान...* *मेरी जिज्ञासा बढ़ गई क्यों ना इस दुकान पर जाकर देखूं इसमें बिकता क्या है?* *जैसे ही यह ख्याल आया दरवाजा अपने आप खुल गया, जरा सी जिज्ञासा रखते हैं तो द्वार अपने आप खुल जाते हैं, खोलने नहीं पड़ते, मैंने खुद को दुकान के अंदर पाया...* *मैंने दुकान के अंदर देखा जगह-जगह देवदूत खड़े थे, एक देवदूत ने मुझे टोकरी देते हुए कहा, मेरे बच्चे ध्यान से खरीदारी करना, यहां सब कुछ है जो एक इंसान को चाहिए है...* *देवदूत ने कहा एक बार में टोकरी भर कर ना ले जा सको, तो दोबारा आ जाना फिर दोबारा टोकरी भर लेना...* *अब मैंने सारी चीजें देखी, सबसे पहले "शांति" और "धीरज" खरीदा, फिर "प्रेम", फिर "समझ", फिर एक दो डिब्बे "विवेक" के भी ले लिए...* *आगे जाकर "विश्वास" के दो तीन डिब्बे उठा लिए, मेरी टोकरी भरती गई...* *आगे गया "पवित्रता" मिली सोचा इसको कैसे छोड़ सकता हूं, फिर "शक्ति" का बोर्ड आया शक्ति भी ल...