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नामकरण संस्कार

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भाषा की दरिद्रता :*  नाम समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को न जाने हो क्या गया है? समाज पथभ्रष्ट एवं दिग्भ्रमित हो गया है.  एक सज्जन ने अपने बच्चों से परिचय कराया, बताया पोती का नाम *#अवीरा* है, बड़ा ही #यूनिक_नाम रखा है।  पूछने पर कि इसका *अर्थ क्या है*,  बोले कि बहादुर, ब्रेव कॉन्फिडेंशियल।  सुनते ही दिमाग चकरा गया। फिर बोले कृपा करके बताएं आपको कैसा लगा?   मैंने कहा बन्धु अवीरा तो बहुत ही *अशोभनीय नाम है*। नहीं रखना चाहिए. उनको बताया कि 1. जिस स्त्री के पुत्र और पति न हों. पुत्र और पतिरहित (स्त्री)  2. स्वतंत्र (स्त्री) उसका नाम होता है अवीरा. नास्ति वीरः पुत्त्रादिर्यस्याः  सा अवीरा  उन्होंने बच्ची के नाम का अर्थ सुना तो बेचारे मायूस हो गए,  बोले महोदय क्या करें अब तो स्कूल में भी यही नाम हैं बर्थ सर्टिफिकेट में भी यही नाम है। क्या करें? *आजकल लोग नया करने की ट्रेंड में* कुछ भी अनर्गल करने लग गए हैं जैसे कि  *लड़की हो* तो मियारा, शियारा, कियारा, नयारा, मायरा तो अल्मायरा ...  *लड़का हो* तो वियान, कियान, गियान, केयांश ... और तो औ...

औषधि विहीन उपचार

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औषधविहीन उपचार-एक शाश्वत विज्ञान अर्थात् समस्त चिकित्सानाम् त्वम् हस्ते उपचार का अन्तर्निष्ट गुण स्वयं मनुष्य के स्वत्व में स्थित है। -लेखक समस्त चिकित्सानाम् त्वम् हस्ते" ईश्वर की महानता का द्योतक है। प्रत्येक मानव को जन्म से ही यह अनुपम वरदान प्राप्त है। परन्तु अज्ञानतावश हम इसका उपयोग नहीं करते हैं। आज संसार में अनगिनत चिकित्सा विधायें है। यदि हम किसी भी चिकित्सा विधि का अध्ययन करते हैं, तो हमारा परिचय विभिन्न रोगों से तथा उनके उपचार हेतु अनेको औषधियों व किन्हीं विशेष प्रक्रियाओं से होता है। किन्तु किसी भी चिकित्सा शास्त्र अथवा प्रक्रिया में रोगी द्वारा वर्णित कारणोपचार पर कोई दिशा निर्देश नहीं है। समस्त चिकित्सा विधान और चिकित्सकगण अपने अनुभवों को ही महत्व देते है। कारण उनके लिये अर्थहीन है। एक यक्ष प्रश्न है? रोग व रोग के कारण में उपचार किस का किया जाना चाहिये ? स्वाभाविक है, रोग के कारण का उपचार ही सर्वोपरि है। आज समस्त विश्व औषधियों की भारी कमी से जूझ रहा है। जीवन रक्षक औषधियों की आपूर्ति न्यून है, तथा अन्य आवश्यक औषधियाँ या तो अप्रचलित हो गई हैं या अत्यधिक मूल्यवान और जन स...

काला जादू

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काला जादू, बुरी नजर, श्राप, मंत्र, बुरी आत्माएं और नकारात्मक ऊर्जाएं - ऊर्जा चक्र को बाहर निकालना सभी नकारात्मक तत्वों को बाहर निकालने के लिए एक नया और उन्नत ईसी...। समाशोधन और निष्कासन के लिए इसका प्रयोग करें: - तंत्र मंत्र - बुरी नजर - शाप - मंत्र - ईविल स्पिरिट्स एंड एंटिटीज - विभिन्न नकारात्मक ऊर् सिर्फ प्रभावित लोगों के लिए ही नहीं, रोकथाम के लिए भी आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

मान्यताओं के बंधन और मनुष्य

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क्या आप बन्धन में हो?      एक पुरानी कहानी है कि एक धोबी के पास एक गधा था जिसे वो कपड़े लादकर लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल करता था। एक बार धोबी कपड़े धोने के लिए नदी किनारे आया। गधे की पीठ से कपड़े उतारते वक़्त उसे याद आया कि जिस रस्सी से वो गधे को पेड़ से बांध देता था, वो आज उस रस्सी को लाना भूल गया है। धोबी चिंता में पड़ गया। वो इस चिंता में  ही था कि क्या अब फिर से उसे इतनी दूर जाकर रस्सी लानी होगी क्योंकि नहीं तो मेरे कपड़े धोने जाते ही ये गधा तो कहीं चला जायेगा।       वो ये सब सोच ही रहा था कि उधर से एक आदमी गुज़रा जो समझदार दिखता था। धोबी ने अपनी बात उस से कह डाली और उससे किसी उपाय की आशा करने लगा। उस आदमी ने धोबी की पूरी बात धैर्य से सुनी और उससे कहा कि रस्सी लाने की आवश्यकता नहीं है बस जब रस्सी होने पर तुम जिस प्रकार अपने गधे को बांधते आए हो ठीक उसी प्रकार का अभिनय करो। काल्पनिक रस्सी से गधे को बांध दो। धोबी ने ठीक वैसा ही किया और बिल्कुल वैसे ही अपने गधे को थपथपाया जैसे वो रस्सी मजबूती से बांधने के बाद थपथपाया करता था।     ...

कुंएँ का मेंढक और समुद्र की मछली|

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कुंएँ का मेंढक और समुद्र की मछली| एक कुँए मे एक मेंढक रहता था, उसका वही सँसार था। उसने आकाश भी उतना ही देखा था, जितना कुएँ के अंदर से दिखाई देता है, इसलिए उसकी सोच की सीमा कुएँ तक ही सीमित थी। एक दिन नीचे पानी के रास्ते से कुंएँ में समुद्र की एक छोटी सी मछली आ पहुंची।जब उन दोनों की बातचीत हुई । मछली ने पूछा कि तुम्हे पता है समुद्र कितना बड़ा होता है ? मेंढक ने एक छलांग लगाई बोला इतना होगा। मछली बोली -नही, इससे बहुत बड़ा है। मेंढक ने फिर एक किनारे से आधे हिस्से तक छलांग लगाई।फिर बोला इतना होगा। फिर मछली बोली कि नहीं। इस बार मेंढक ने अपना पूरा जोर लगाते हुए एक सिरे से दूसरे सिरे तक छलांग लगाई और बोला कि इससे बड़ा हो ही नही सकता, मछली बोली नही समुद्र इससे बहुत बड़ा है । मेंढक को विश्वास ही नही हुआ, उसको लगा कि मछली झूठ बोल रही है। दोनों ही अपनी अपनी जगह सही थे।अंतर था तो उनकी सोच में मछली की सोच अपने माहौल के हिसाब से थी और मेंढक की  सोच भी जिस वातावरण में वो रहता था, ठीक वैसी ही थी।मित्रों, हमारे जीवन में भी तो यही होता है। जिस वातावरण, स्थिति में हम रहते है, हमको लगता है,यही...

नाम और संस्कार

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*बच्चों का नाम बहुत सावधानी से रखें।* सनातन धर्म में सोलह संस्कार बताए गए हैं। इनमें से नामकरण संस्कार को बेहद महत्वपूर्ण संस्कार में माना गया है। नाम किसी भी व्यक्ति के लिए पूरे जीवन की पहचान होता है।          ज्योतिष के अनुसार, नाम का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव और भाग्य पर भी पड़ता है। इसलिए नाम रखने से पहले कुछ बातों पर विचार जरूर कर लें। तो चलिए जानते हैं कि बच्चे का नाम रखने से पहले किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए :-  *नाम के अर्थ का रखें ध्यान।* आज के समय में लोग चाहते हैं कि उनके बच्चें का नाम कुछ हटकर नया होना चाहिए। इसलिए जो नाम वे सीरियल या फिल्मों में देखते हैं, वही नाम वे अपने बच्चों का रख देते हैं, लेकिन बच्चें का नाम रखने से पहले उसका अर्थ जानना बेहद जरूरी होता है। अपने बच्चें के लिए एक ऐसा नाम चुनें जिसका अर्थ अच्छा व सकारात्मक हो, क्योंकि बच्चें के नाम का प्रभाव उसके पूरे व्यक्तित्व पर पड़ता है।। *नामकरण के लिए सही   दिन का चुनाव करें* नामकरण के लिए चुनें सही दिन-                 बच्चे के जन्...

बच्चे मन के सच्चे

गर्भस्थ शिशु को चेतना  "क्या गर्भ में पल रहे बच्चे को या दूध पीने वाले बच्चे को भी ज्ञान दिया जा सकता है"  बच्चा जितना छोटा होता है उसमें किसी भी माध्यम से विचारों को ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है। जब बच्चा मां के पेट में होता है तो मां का रोम-रोम उसकी आंख नाक कान होते हैं, उसका मस्तिष्क होते हैं। उसके देखने सुनने व समझने की शक्ति हजारो लाखो गुना होती है, इसलिए बच्चा मां के पेट में कहीं अधिक जल्दी सीख और समझ सकता है। जिस कार्य को सीखने के लिए  सालों या महीने लगते हैं,वह कार्य बच्चा गर्भ में घंटों में सीख सकता है। यही वह समझ थी जिस का प्रयोगिक रूप भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को सिखाया और अर्जुन ने उसका प्रयोग अपनी पत्नी पर किया। जब वह गर्भवती थी, अभिमन्यु उसके गर्भ में था  अभिमन्यु ने चक्रव्यूह तोड़ने का ज्ञान गर्भ में ही प्राप्त किया था। यदि कोई गर्भवती स्त्री चाहती है कि वह किसी विशेष बच्चे को जन्म दे। जैसे  वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर, नेता, अभिनेता या ऋषि-मुनि।  मानो वह एक श्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी को जन्म देना चाहती है, तो गर्भ के दौरान माता को चाहिए क...