चमत्कारी स्वर विज्ञान
चमत्कारी स्वर विज्ञान मानव जीवन से श्वाँस का बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध है। साधारण बोल चाल में तो यह ही कहा जाता है कि "जब तक साँस तब तक आस।" इसका आशय यही हुआ कि साँस से ही जीवन है। यद्यपि यह सभी को अनुभव है कि हमारी जीवन-धारा का सबसे बड़ा आधार यह श्वास-प्रश्वास ही है, पर इस श्वासोच्छास में कोई विशेष रहस्य है, कोई बड़ी शक्ति निहित है, इसका ज्ञान बहुत थोड़े लोगों को है। पर जिन ज्ञानीजनों ने इस विषय में खोज की है वे इस निर्णय पर पहुँचे हैं कि मानव जीवन की प्रत्येक क्रिया से इस श्वास-प्रश्वास का सम्बन्ध है। सुख-दुःख, स्वास्थ्य, रोग सब प्रकार की आपत्तियाँ और सफलता आदि सभी बातों पर इसका प्रभाव पड़ता है और यदि आप इस विषय से सम्बन्ध रखने वाले नियमों को जान ले व अभ्यास करें तो वह जीवन के हर क्षेत्र में बहुत लाभ उठा सकते हैं।सनातन संस्कृति के ऋषियों ने इस विषय का बहुत सूक्ष्म रूप से विवेचन करके "शिवस्वरोदय' नाम का एक स्वतंत्र विज्ञान का उपहार विश्व को दिया है। इस शास्त्र में बतलाया गया है कि मनुष्य के पृष्ठ देश में तीन नाड़ियाँ हैं- इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना। मनुष्य जो श्वास लेता है,...
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