ईश्वर की कविता
सँसार ईश्वर की कविता है।
सँसार का हर बिंदु
उसे ही दर्शाता है।
समझ हो अगर आपको
जानो कि, वह सदा आपके
साथ ही होता है।
मन जब शांत हो,तो ईश्वर
ही वहाँ होता है।
आशा,निराशा,
इच्छा,अनिच्छा,
कर्म,अकर्म,
सुंदर, असुंदर,
अच्छा, बुरा,
व्यक्ति के मन
का रचित मायाजाल है।
इस मायाजाल के मूल
में ही वह ब्रह्म है, जिसे
मन ढूंढ रहा है।
विचारों, भावनाओं
वेदना से परे कौन है,क्या है?
सत्यमहेश-07415865321
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