शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्
वही आत्मा सच्चिदानंद मैं हूँ । 
अमर आत्मा सच्चिदानंद मैं हूँ ।
शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्
 
अखिल विश्व का जो परम आत्मा है, 
सभी प्राणियों का वही आत्मा है ।।१।। 
शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

अमर आत्मा है मरणशील काया , 
सभी प्राणियों के जो भीतर समाया ।।२।। 
शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

जिसे न शस्त्र काटे , न अग्नि जलावे, 
बुझावे न पानी ,न मृत्यु मिटावे ।।३।। 
शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

है तारों-सितारों में आलोक जिसका, 
है सूरज व चंदा में आभास जिसका।।४।। 
शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

है व्यापक जो कण कण में है वास जिसका, 
नहीं तीनों कालों में हो नाश जिसका।।५।। 
शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

अजर औ अमर जिसको वेदों ने गाया, 
वही ज्ञान अर्जुन को हरि ने सुनाया।।६।। 
शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्
शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

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