परम आनंद और मन का खेल
हर व्यक्ति जीवन में आनंद खुशियां और प्रेम चाहता है और उसकी यह मान्यता है की उसकी जो कामनाएं हैं वह पूर्ण हो जाएंगी तो उसे आनंद प्राप्त होगा यह मन का ऐसा जाल है जो व्यक्ति को कामनाएं पूरा करने में उलझा करके रखता है और व्यक्ति एक के बाद दूसरी कामना पूर्ण करता है जिससे कि उसे हर कामना पूर्ण होने पर आनंद मिलता है परंतु पूरा आनंद सतत आनंद उसे कामना रहित होने पर मिलेगा यह मन नहीं समझ पाता क्योंकि मनका एक ही प्रोग्राम है की इच्छा पूरी होगी तभी आनंद मिलेगा इसीलिए व्यक्ति निरंतरता से इच्छाएं जगाता है और उन्हें पूर्ण करने के लिए प्रयत्न करता है और यह कार्य बिना समझ के करता रहता है और इच्छा पूर्ण होने पर सुखी और अपूर्ण होने पर दुखी होता रहता है।क्या आपके साथ भी ऐसा ही हो जाता है?
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