मौज में रहें,दुखी होना अज्ञान है। शरीर, ऊर्जा,और विचार का विज्ञान। इस भौतिक शरीर के क्रियाकलाप मनुष्य के विचारों और बुद्धि पर आधारित होते हैं।शरीर के स्वस्थ्य या अस्वस्थ होने में मनुष्य के विचार एक मात्र कारण होते हैं। शरीर का मन के साथ सूक्षम संबंध होता है जो मानव बुद्धि यदि समझ पाती है और विश्वास कर पाती है तो जीवन की उच्चतम अभिव्यक्ति होने की संभावना होती है। शरीर की अधिकांश बीमारियों के पीछे अस्वस्थ मन होता है। किसी दिन जब आपके मन या बुद्धि से ज्यादा काम लेते हैं या किसी दिन विचारों की उथल पुथल ज्यादा हो तो उस दिन हो सकता है आपका शरीर अधिक थकावट महसूस करें। यह सब ऊर्जाओं और आपके विचारों का खेल है, लीला है।अच्छे विचार रखने का चुनाव करने का अधिकार आपके पास सदा से ही है। शरीर और मन के इसी संबंध को ध्यान-व्यायाम का एक प्रयोग कर समझते हैं। आंखें बन्द करके हृदय-चक्र पर 10 सेकेंड के लिए ध्यान लगाइए.... और फिर ऐसा सोचिए कि जैसे आप घर से निकलकर सामने सड़क पर आ गए हैं... इसके बाद दौड़ना शुरु करना है... दौड़ते हुए अपने पैरों के जोडो़ं...