आनंद से युक्ति
जैसा कि कहा गया है आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है।आज का पारिवारिक, सामाजिक राजनैतिक, परिवेश ऐसा हो गया है कि आज छोटे बच्चों से लेकर, उच्च पदो पर आसीन लोग, साधारण व प्रमुख लोग,युवा व वृद्ध कोई भी हो, किसी न किसी अनचाहे तनाव, असंतुष्टता में ग्रसित हैं। जीवन में जो आनंद का मौका है वह तनाव को उधार ले लेकर दुःखी होने का बहाना बन रहा है। आज भौतिक सुख-सुविधाऐ भरपूर हैं लेकिन सच्ची शान्ति, आनंद कोसों दूर है।हर किसी को उस आनंद शांति की अत्यंत आवश्यकता है। तनावमुक्ति के लिए आवश्यकता है हम सबसे पहले अपने आप को जाने कि मैं कौन हूँ? इस धरती पर क्यों हूँ? मैं क्या बन कर या अपने आप को क्या मान कर जी रहा हूँ? यह जीवन जो तनाव, चिंता, दुखः को पर्याय बन गया है, वास्तव में खुशी, निश्चिन्तताऔर आनंद के लिए है। हम सबके लिए यह बहुत ही गौरव और खुशी की बात है कि यह ज्ञान भारतवर्ष में हजारों वर्षों से वेद-उपनिषदों के माध्यम से उपलब्ध है। लेकिन उस ज्ञान को मानव सही ढंग से समझ नहीं पा रहे हैं। जिसके कारण से वो ज्ञान जीवन में उतर भी नहीं पा रहा है। हमारे लिए अत्यंत प्रसन्नता की बात है क...