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आनंद से युक्ति

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जैसा कि कहा गया है आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है।आज का पारिवारिक, सामाजिक राजनैतिक, परिवेश ऐसा हो गया है कि आज छोटे बच्चों से लेकर, उच्च पदो पर आसीन लोग, साधारण व प्रमुख लोग,युवा व वृद्ध कोई भी हो, किसी न किसी अनचाहे तनाव, असंतुष्टता में ग्रसित हैं। जीवन में जो आनंद का मौका है वह तनाव को उधार ले लेकर दुःखी होने का बहाना बन रहा है। आज भौतिक सुख-सुविधाऐ भरपूर  हैं लेकिन सच्ची शान्ति, आनंद कोसों दूर है।हर किसी को उस आनंद शांति की अत्यंत आवश्यकता है। तनावमुक्ति के लिए आवश्यकता है हम सबसे पहले अपने आप को जाने कि मैं कौन हूँ? इस धरती पर क्यों हूँ?  मैं क्या बन कर या अपने आप को क्या मान कर जी रहा हूँ? यह जीवन जो तनाव, चिंता, दुखः को पर्याय बन गया है, वास्तव में खुशी, निश्चिन्तताऔर आनंद के लिए है। हम सबके लिए यह बहुत ही गौरव और खुशी की बात है कि यह ज्ञान भारतवर्ष में हजारों वर्षों से वेद-उपनिषदों के माध्यम से उपलब्ध है। लेकिन उस ज्ञान को मानव सही ढंग से समझ नहीं पा रहे हैं। जिसके कारण से वो ज्ञान जीवन में उतर भी नहीं पा रहा है। हमारे लिए अत्यंत प्रसन्नता की बात है क...

स्वयं स्वस्थ कैसे हो।

एक स्वस्थ विचार  सँसार में कोई चिकित्सक किसी भी बीमारी का इलाज नहीं करता है। आवश्यक हो तो चिकित्सक के पास अवश्य जाएं पर ध्यान रखें कि शरीर रूपी गाड़ी की ऑइलिंग,सर्विसिंग,डिटॉक्सिंग, क्लींनिंग,ट्यूनिंग जो नैसर्गिक व निरापद होती है,के पालन से ही पूर्ण रोगमुक्ति होती है।खान-पान, रहन-सहन,जीवन शैली सुधारते हुए व पौष्टिकता संबंधी आवश्यकताएं पूरी करते हुए व जितना शरीर रूपी गाड़ी को चलाते हैं उतना ही भोजन शरीर को दें। इलाज तो करने वाले बहुत ज्यादा हैं हर शहर देश विदेश में।शरीर में पूरी एक लाख किलोमीटर नसनाड़ियों व अंग प्रत्यंग में स्टोर रचे-बसे हुए अधपचे सड़ते भोजन रूपी पैट्रोल को निष्कासित करवाकर छोटी से बड़ी हर बीमारी से मुक्ति मिलती है। आपका स्वास्थ्य आपकी दृढ़ संकल्प व  जीभ पर संयम रखेंगे तो ही मिलेगा। प्रथम प्राकृतिक चिकित्सा से कण कण में व्याप्त प्राणऊर्जा को जागृत करें। द्वितीयअकर्ता भाव में सदा उर्जित व स्वस्थ रहने का आनंद अनुभव करें। इसके साथ सकारात्मक भाव व विचार के लिए निम्न प्रयोग करने का प्रयास करते रहे। 1.एक सुनहरी गेंद की कल्पना करें और यह भाव रखें कि आप इस गेंद में पूर्...