स्वयं स्वस्थ कैसे हो।
एक स्वस्थ विचार
सँसार में कोई चिकित्सक किसी भी बीमारी का इलाज नहीं करता है। आवश्यक हो तो चिकित्सक के पास अवश्य जाएं पर ध्यान रखें कि
शरीर रूपी गाड़ी की ऑइलिंग,सर्विसिंग,डिटॉक्सिंग, क्लींनिंग,ट्यूनिंग जो नैसर्गिक व निरापद होती है,के पालन से ही पूर्ण रोगमुक्ति होती है।खान-पान, रहन-सहन,जीवन शैली सुधारते हुए व पौष्टिकता संबंधी आवश्यकताएं पूरी करते हुए व जितना शरीर रूपी गाड़ी को चलाते हैं उतना ही भोजन शरीर को दें। इलाज तो करने वाले बहुत ज्यादा हैं हर शहर देश विदेश में।शरीर में पूरी एक लाख किलोमीटर नसनाड़ियों व अंग प्रत्यंग में स्टोर रचे-बसे हुए अधपचे सड़ते भोजन रूपी पैट्रोल को निष्कासित करवाकर छोटी से बड़ी हर बीमारी से मुक्ति मिलती है। आपका स्वास्थ्य आपकी दृढ़ संकल्प व जीभ पर संयम रखेंगे तो ही मिलेगा।
प्रथम प्राकृतिक चिकित्सा से कण कण में व्याप्त प्राणऊर्जा को जागृत
करें।
द्वितीयअकर्ता भाव में सदा उर्जित व स्वस्थ रहने का आनंद अनुभव करें।
इसके साथ सकारात्मक भाव व विचार के लिए निम्न प्रयोग करने का प्रयास करते रहे।
1.एक सुनहरी गेंद की कल्पना करें और यह भाव रखें कि आप इस गेंद में पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं।
2.हर नकारात्मक विचार का सकारात्मक अनुवाद करते रहे।
3.ईश्वर सदा स्वस्थ रहता है इसलिए मैं व मेरा शरीर भी स्वस्थ रहता है।बीमारी भ्रम है।
4.सब में ईश्वर को देखो व अनुभव करो।
5.स्मरण करते रहे कि सत्य खो नहीं सकता, माया मिल नहीं सकती।
6.स्मरण रखें कि आपके साथ ईश्वरीय शक्ति है।उस पर निष्ठा रखें।
7.क्षमा आनंद की कुंजी है।सदा अपनी व दूसरो की गलती को क्षमा करे क्योकि कोई दूसरा है ही नहीं।
8.बिना शर्त प्रेम करने का होशपूर्वक, सजगता से,अकर्ता भाव से अभ्यास करे।बिना किसी अपवाद आप सभी को बेशर्त प्रेम दें।
9.किसी की किसी से तुलना नहीं, स्टम्पिंग नहीं, लेबेल नहीं।हर मान्यता से मुक्ति का अनुभव करें।
सब ही ईश्वर है,ईश्वर ही सब कुछ है।स्वयं की स्वयं से तुलना कर परमात्मा होने के मार्ग पर चलें।
हरि ॐ तत्सत।
सत्यमहेश
09340188863
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