अपान वायु मुद्रा के लाभ
अपान वायु मुद्रा (Apana Vayu Mudra) को ह्रदय मुद्रा (Heart Mudra) भी कहा जाता है। यह मुद्रा ह्रदय, पाचन, और निचले शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है। विशेष रूप से यह हृदय रोगों, गैस, कब्ज, और अपचन में लाभकारी होती है।
✋ अपान वायु मुद्रा कैसे करें?
- आरामदायक स्थिति में बैठ जाएँ (जैसे पद्मासन, सुखासन या कुर्सी पर पीठ सीधी रखकर)।
- दोनों हाथों को घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर।
- अब प्रत्येक हाथ की:
- मध्यमा (Middle finger) और अनामिका (Ring finger) को अंगूठे (Thumb) के नीचे मोड़ें।
- अंगूठा इन दोनों उंगलियों को हल्के से दबाए।
- तर्जनी (Index finger) को मोड़कर अंगूठे के मूल भाग से स्पर्श कराएं।
- कनिष्ठा (Little finger) को सीधा रखें।
यह मुद्रा कुछ इस प्रकार दिखेगी:
तर्जनी - अंगूठे के मूल से स्पर्श
मध्यमा + अनामिका - अंगूठे से दबाई गई
कनिष्ठा - सीधी
🕒 कितनी देर करें?
- दिन में 2 से 3 बार, प्रत्येक बार 15 से 20 मिनट तक करें।
- हृदय के रोगी इसे दिन में 3-4 बार कर सकते हैं।
🧘♂️ लाभ:
- हृदय की गति को संतुलित करता है, हृदयाघात (Heart Attack) के समय तुरंत राहत देता है।
- गैस, अपचन और पेट दर्द में लाभकारी।
- तनाव, घबराहट और चिंता को शांत करता है।
- ब्लड प्रेशर को सामान्य करने में मदद करता है।
- प्राण और अपान वायु के बीच संतुलन स्थापित करता है।
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