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सेवा की भावना

*यह कहानी किसी ने मुझे भेजी है ; अच्छी लगी तो सोचा आप सबको भी बताऊँ*   *कृपया इसे जरूर पढ़ें: ‐*  *वासु भाई और वीणा बेन* गुजरात के एक शहर में रहते हैं; आज दोनों यात्रा की तैयारी कर रहे थे  3 दिन का अवकाश था; पेशे से चिकित्सक हैं  लंबा अवकाश नहीं ले सकते थे। परंतु जब भी दो-तीन दिन का अवकाश मिलता छोटी यात्रा पर कहीं चले जाते हैं              आज उनका इंदौर- उज्जैन जाने का विचार था दोनों जब साथ-साथ मेडिकल कॉलेज में पढ़ते थे, वहीं पर प्रेम अंकुरित हुआ था और बढ़ते-बढ़ते वृक्ष बना  दोनों ने परिवार की स्वीकृति से विवाह किया 2 साल हो गए,अभी संतान कोई है नहीं, इसलिए यात्रा का आनंद लेते रहते हैं                विवाह के बाद दोनों ने अपना निजी अस्पताल खोलने का फैसला किया, बैंक से लोन लिया  वीणाबेन स्त्री-रोग विशेषज्ञ और वासु भाई डाक्टर आफ मैडिसिन हैं  इसलिए दोनों की कुशलता के कारण अस्पताल अच्छा चल निकला यात्रा पर रवाना हुए, आकाश में बादल घुमड़ रहे थे  मध्य-प्रदेश की सीमा लगभग 200 क...

जल और सकारात्मक सोच

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जल और सकारात्मक सोच विचारों का शरीर पर प्रभाव जब आप भ्रूण अवस्था में थे तब आप 99.9% पानी में थे। जब जन्म हुआ तब 90% पानी में थे। वयस्क अवस्था में 70% पानी हमारे सबके शरीर में रहता है व वृद्धावस्था में करीब 50% पानी हमारे शरीर में रहता है।       इस प्रकार जीवन की अधिकांश अवस्थाओं में पानी हमारे शरीर का मुख्य हिस्सा रहता है । जापान के डॉक्टर  श्री मसारू मोटो ने अपनी वैज्ञानिक खोज से व पानी के कणों की फोटो लेकर यह प्रमाणित किया है कि पानी के कण मधुर संगीत पर अच्छी प्रतिक्रिया दर्शाते हैं जबकि कठोर बेहूदे सुरों पर पानी के कणों का ढांचा खराब हो जाता है। उन्होंने अलग-अलग वातावरण बना कर जबप्रयोग किये और पानी के कणों के चित्र लिये तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा कि खुशी, सत्य, प्रेम व कृतज्ञता के लिये पानी के कणों ने सुंदर षटकोण बनाया।। https://youtu.be/1qQUFvufXp4    (देखें वीडियो)  जबकि जब इन्हीं पानी के कणों को एक कागज पर 'बेवकूफ' लिखकर उस जार पर लपेट दिया जिसमें यह पानी था तो क्रिस्टल की तस्वीर टेड़ी मेड़ी व वीभत्स सी बनी। थैन्कयू लिखने पर...

परम आनंद और मन का खेल

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सतत आनंद और मन की अनंत कामनायें। हर व्यक्ति जीवन में आनंद खुशियां और प्रेम चाहता है और उसकी यह मान्यता है की उसकी जो कामनाएं हैं वह पूर्ण हो जाएंगी तो उसे आनंद प्राप्त होगा यह मन का ऐसा जाल है जो व्यक्ति को कामनाएं पूरा करने में उलझा करके रखता है और व्यक्ति एक के बाद दूसरी कामना पूर्ण करता है जिससे कि उसे हर कामना पूर्ण होने पर आनंद मिलता है परंतु पूरा आनंद सतत आनंद उसे कामना रहित होने पर मिलेगा यह मन नहीं समझ पाता क्योंकि मनका एक ही प्रोग्राम है की इच्छा पूरी होगी तभी आनंद मिलेगा इसीलिए व्यक्ति निरंतरता से इच्छाएं जगाता है और उन्हें पूर्ण करने के लिए प्रयत्न करता है और यह कार्य बिना समझ के करता रहता है और इच्छा पूर्ण होने पर सुखी और अपूर्ण होने पर दुखी होता रहता है।क्या आपके साथ भी ऐसा ही हो जाता है?

शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् वही आत्मा सच्चिदानंद मैं हूँ ।  अमर आत्मा सच्चिदानंद मैं हूँ । शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्   अखिल विश्व का जो परम आत्मा है,  सभी प्राणियों का वही आत्मा है ।।१।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् अमर आत्मा है मरणशील काया ,  सभी प्राणियों के जो भीतर समाया ।।२।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् जिसे न शस्त्र काटे , न अग्नि जलावे,  बुझावे न पानी ,न मृत्यु मिटावे ।।३।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् है तारों-सितारों में आलोक जिसका,  है सूरज व चंदा में आभास जिसका।।४।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् है व्यापक जो कण कण में है वास जिसका,  नहीं तीनों कालों में हो नाश जिसका।।५।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् अजर औ अमर जिसको वेदों ने गाया,  वही ज्ञान अर्जुन को हरि ने सुनाया।।६।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

भोजन और हमारा स्वास्थ्य

खाना खाने के बाद पेट में खाना पचेगा या खाना सड़ेगा।इसीपर शरीर का स्वास्थ्य निर्भर करता है। ये जानना बहुत आवश्यक है कि ... हमने रोटी खाई, हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी ,दूध,दही छाछ लस्सी फल आदि|, ये सब कुछ भोजन के रूप में हमने ग्रहण किया ये सब कुछ हमको ऊर्जा देता है और पेट उस ऊर्जा को पूरे शरीर में प्रेषित करता है | पेट में एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते हैं "आमाशय" ,उसी स्थान का संस्कृत नाम है "जठर"| उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते हैं " epigastrium "| यह एक थैली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी में आता है। ये बहुत छोटा सा स्थान है इसमें अधिक से अधिक 350 ग्राम खाना आ सकता है | हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय में आ जाता है| आमाशय में अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे"जठराग्नि"।ये जठराग्नि  वो अमाशय में प्रदीप्त होने वाली आग है,जो भोजन को पचाने में सहायक है । ऐसे ही पेट मे होता है जैसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी | यह ऑटोमेटिक है,जैसे ...

स्वास्थ्य और जैविक घड़ी

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स्वास्थ्य और जैविक घड़ी BIO-CLOCK _______________ हमें कहीं बाहर जाना है या कुछ काम है तो हम clock का  alarm 4.00 बजे सुबह का लगा कर सो जाते हैं। पर कभी कभी हम Alarm के पहले ही उठ जाते हैं, या ठीक 4 बजे अलार्म बजने के कुछ पल पहले नींद खुल जाती है । This is Bio-clock. बहुत से लोग ये मानते है कि वो 80 - 90 की age में ऊपर जाएंगे। अधिकांश लोग ये विश्वास करते हुए अपनी स्वयं की  Bio-clock मन में उसी तरह से set कर लेते है, की 50-60 की उम्र में सभी बीमारियां उन्हे घेर लेंगी। तभी लोग सामान्यतः  50-60 की उम्र में अज्ञानता से बीमारियों से घिर जाते है और जल्दी भगवान को प्यारे हो जाते हैं। Actually हम बेहोशी में अपनी  गलत Bio-clock  सेट कर लेते है। जापान में लोग आराम से live 100 साल जीते है। उनकी Bio-clock उसी तरह set रहती है। So friends, 1. हम लोग अपनी Bio-clock इस तरह set करेंगे जिससे हम लोग कम से कम 100 years जी सकें.  स्मरण रखिए Age is just a Number, but "Old Age" is mindset. कुछ लोग 75 साल की उम्र में young अनुभव करते है तो कुछ लोग at 50 years में भी खुद को बूढ़ा अन...

निरंतरता से सफलता

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Life management basics परिश्रम क्यों आवश्यक है? कोई विकल्प है इसका क्या? नहीं कोई विकल्प नहीं है। 1990 में मनोवैज्ञानिक k andrshon ने एक रिसर्च किया। उसने बर्लिन की म्यूजिक अकेडमी के विख्यात पर संगीतकारों पर और उनकी प्रैक्टिस का डेटा तैयार किया । जो उसने परिणाम पाया उसे मैं यहाँ शेयर कर रहा हूँ। कोई भी संगीतकार जिसने सफलता की ऊंचाई को छुआ है उसके पहले उसने 10000 घंटे की प्रैक्टिस की थी। जो प्रतिदिन 1 घंटे प्रैक्टिस करते थे उनको सफलता 25 से 30 साल में मिली। जो 2 घंटे प्रतिदिन काम करते थे उसे सफलता 12 से 15 साल में मिली। जिन्होंने 4 से 5 घंटे प्रतिदिन प्रैक्टिस किया उनको सफलता 6 से 7 साल में मिल गई। इस से ये साफ हो जाता है की 10000 घंटे की प्रैक्टिस करने पर ही आप किसी चीज में सफल हो सकते हैं। आप अपने प्रैक्टिस के घंटे बढाकर सफलता को और भी कम समय में प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही कम उम्र में ही प्रैक्टिस प्रारम्भ के देना चाहिए। आप जिस काम में सफलता चाहते है उसके लिए इतनी तैयारी आपको करनी ही होगी। दुर्भाग्य से हम सभी भारत में सफलता को नोकरी और पढाई से ही जोड़ लेते हैं। वास्तव में आप बहुत बड़े ...