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Showing posts from May, 2025

ईश्वर ही है,तुम भी वही हो।

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*ईश्वर की सहज पहचान हो रही है* *– सत्य की अनुभूति में डूबी एक कविता* हर साँस में जैसे कोई सरगम बह रही है, मन के मौन में कोई धुन बज रही है। न मंदिर की घंटियों में, न ग्रंथों की पंक्तियों में, ईश्वर तो बस इस पल की सादगी में रह रहा है। न बाहरी खोज, न लंबी साधना का शोर, बस खुद से मिलने का एक परमशांति का क्षण। जब  स्वीकारा दुःख को भी वरदान समझ, तब भीतर एक मौन, ईश्वरीय गूंज बन गई सहज। न कोई प्रश्न अब, न उत्तर की तलाश है, बस जो कुछ है, वही तो परम प्रकाश है। ईश्वर अब कोई अलग नहीं, दूर नहीं, वह तो हर धड़कन में, हर क्षण में भर रही है। ईश्वर की सहज पहचान हो रही है, मैं है ही नहीं— एक परम ज्योति सी बह रही है। ईश्वर से भिन्न कुछ भी नहीं है, ईश्वर ही सत्य है, शेष सब भी  ईश्वर ही है। *सत्य महेश भोपाल*

Overthinking से बचने की विधि

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Overthinking (अत्यधिक विचार करना) एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति बार-बार एक ही बात को सोचता रहता है, निर्णय नहीं ले पाता या भविष्य व भूतकाल की घटनाओं में उलझा रहता है। यह कई प्रकार की हो सकती है और इसके मानसिक व शारीरिक हानिकारक प्रभाव होते हैं। Overthinking के प्रमुख प्रकार 1. Rumination (पछतावा आधारित सोच): भूतकाल की घटनाओं पर बार-बार विचार करना – जैसे, "काश मैंने ऐसा नहीं किया होता।" 2. Worrying (चिंता आधारित सोच): भविष्य की कल्पनाओं में खो जाना – "अगर ऐसा हो गया तो क्या होगा?" 3. Decision Paralysis (निर्णयहीन सोच): विकल्पों में उलझ कर निर्णय न ले पाना – "यह सही है या वह?" 4. Self-Doubt (आत्म-संदेह): खुद पर विश्वास न करना – "क्या मैं यह कर सकता हूँ?" 5. Hypothetical Overthinking (काल्पनिक सोच): जो घटा ही नहीं, उस पर सोचना – "अगर वह ऐसा कह देता तो क्या होता?" Overthinking से होने वाली हानियाँ मानसिक तनाव (Stress) और चिंता (Anxiety) नींद की कमी (Insomnia) निर्णय लेने की क्षमता में गिरावट स्वास्थ्य समस्याएँ (जैसे Blood Pressure, सिर...

स्वाद नहीं ,स्वास्थ्य

स्वाद नहीं, स्वास्थ्य को दें प्राथमिकता – एक विचारशील लेख भूमिका आज के युग में जब स्वादिष्ट व्यंजनों की भरमार है, मनुष्य का झुकाव स्वाद की ओर स्वाभाविक हो गया है। चाहे वह तले-भुने पकवान हों, मीठी मिठाइयाँ हों या तीखे मसालेदार भोजन – जीभ की तृप्ति के लिए हम न जाने कितनी बार अपने शरीर के स्वास्थ्य से समझौता कर बैठते हैं। परंतु क्या यह क्षणिक स्वाद, हमारे दीर्घकालिक स्वास्थ्य से अधिक मूल्यवान है? यही प्रश्न हमें यह सोचने पर विवश करता है कि स्वाद से अधिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना क्यों आवश्यक है। स्वाद की आदत: एक मीठा धोखा स्वाद तात्कालिक संतोष देता है, परंतु इसके पीछे छिपा दीर्घकालिक नुकसान हम अकसर अनदेखा कर देते हैं। अधिक तेल, नमक, चीनी और मसाले न केवल हमारे पाचन तंत्र को नुकसान पहुँचाते हैं, बल्कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा और हृदय रोगों जैसे गंभीर रोगों का कारण भी बनते हैं। प्रारंभ में ये लक्षण दिखते नहीं, पर धीरे-धीरे शरीर खोखला होता चला जाता है। स्वास्थ्य: असली सुख का आधार एक स्वस्थ शरीर ही सुख, शांति और सफलता की नींव रखता है। जब शरीर ऊर्जावान होता है, तब मन भी प्रसन्न और...