स्वाद नहीं ,स्वास्थ्य
स्वाद नहीं, स्वास्थ्य को दें प्राथमिकता – एक विचारशील लेख
भूमिका
आज के युग में जब स्वादिष्ट व्यंजनों की भरमार है, मनुष्य का झुकाव स्वाद की ओर स्वाभाविक हो गया है। चाहे वह तले-भुने पकवान हों, मीठी मिठाइयाँ हों या तीखे मसालेदार भोजन – जीभ की तृप्ति के लिए हम न जाने कितनी बार अपने शरीर के स्वास्थ्य से समझौता कर बैठते हैं। परंतु क्या यह क्षणिक स्वाद, हमारे दीर्घकालिक स्वास्थ्य से अधिक मूल्यवान है? यही प्रश्न हमें यह सोचने पर विवश करता है कि स्वाद से अधिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना क्यों आवश्यक है।
स्वाद की आदत: एक मीठा धोखा
स्वाद तात्कालिक संतोष देता है, परंतु इसके पीछे छिपा दीर्घकालिक नुकसान हम अकसर अनदेखा कर देते हैं। अधिक तेल, नमक, चीनी और मसाले न केवल हमारे पाचन तंत्र को नुकसान पहुँचाते हैं, बल्कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा और हृदय रोगों जैसे गंभीर रोगों का कारण भी बनते हैं। प्रारंभ में ये लक्षण दिखते नहीं, पर धीरे-धीरे शरीर खोखला होता चला जाता है।
स्वास्थ्य: असली सुख का आधार
एक स्वस्थ शरीर ही सुख, शांति और सफलता की नींव रखता है। जब शरीर ऊर्जावान होता है, तब मन भी प्रसन्न और विचार भी स्पष्ट होते हैं। पौष्टिक, संतुलित और सरल भोजन न केवल शरीर को पोषण देता है, बल्कि मानसिक संतुलन और भावनात्मक स्थिरता में भी सहायता करता है।
स्वाद और स्वास्थ्य में संतुलन कैसे रखें?
- प्राकृतिक स्वादों की ओर लौटें – फल, सलाद, अंकुरित अनाज, सादा दाल-चावल में भी स्वाद है, यदि मन शांत हो।
- मिताहार अपनाएं – आवश्यकता से अधिक न खाएं। भूख से थोड़ा कम भोजन करें।
- अति मसाले, तेल और मीठे से बचें – इनका सेवन केवल विशेष अवसरों पर ही करें।
- संतोष और आत्म-जागरूकता विकसित करें – जब मन संयमित होता है, तो स्वाद पर नियंत्रण स्वाभाविक हो जाता है।
निष्कर्ष
स्वाद क्षणिक है, परंतु स्वास्थ्य दीर्घकालिक है। हमें यह समझना होगा कि हम जो खाते हैं, वही हमारा शरीर और चित्त बनाता है। अतः हर बार जब हम भोजन करें, तो यह विचार करें कि यह भोजन मुझे शक्ति देगा या बीमारी? जीभ की तृप्ति से पहले शरीर की भलाई को चुनें – क्योंकि अंततः स्वास्थ्य ही सच्चा स्वाद है।
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सत्य महेश,9340188863
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