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चेतना क्या है?

चेतना क्या है? चेतना सब कुछ है, बिना धारणा, बिना निर्णय, बिना मत,बिना कल्पना के।चेतना सर्वव्यापी है।चेतना में ही संसार है।चेतना से ही संसार है।मानव मन में उठने वाले भाव,विचार का आधार चेतना ही है।मानव की हर क्रिया चेतना के पर्दे पर ही होती है।चेतना को समझने के लिए मन की धारणाओं व मान्यताओं को समझ कर उनके उद्गम स्थल तक जाने की सजगता रखनी होती है।विवेकपूर्ण सजगता ही शुद्ध चेतना है। दृश्य व अनुभूत जगत की हर वस्तु व स्थिति चेतना युक्त है पर उसे चेतना समझने की भूल न करें। प्राण व प्राणऊर्जा भी चेतना युक्त है पर वह भी चेतना नहीं है। जो कुछ भी मन व बुद्धि के द्वारा व्यक्ति अनुभूत करता है,वह चेतना नहीं है।परंतु चेतना व ऊर्जा की अभिव्यक्ति है,जैसे प्रकाश व फ़िल्म के संयोग के पर्दे पर फ़िल्म के दृश्य अनुभूत होते हैं।यह सब चेतना में,चेतना से,चेतना के लिए गतिशील है। चेतना की समझ आपको सुख दुख से मुक्त करती है और एक सत्य में स्थापित कर जीवन आनंदित करती है। यह सरल और सहज है।