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Showing posts from 2022

ईश्वर की दुकान

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*सत्संग की दुकान*  ---------------------- *एक दिन मैं सड़क से जा रहा था, रास्ते में एक जगह बोर्ड लगा था, ईश्वरीय किराने की दुकान...* *मेरी जिज्ञासा बढ़ गई क्यों ना इस दुकान पर जाकर देखूं इसमें बिकता क्या है?* *जैसे ही यह ख्याल आया दरवाजा अपने आप खुल गया, जरा सी जिज्ञासा रखते हैं तो द्वार अपने आप खुल जाते हैं, खोलने नहीं पड़ते, मैंने खुद को दुकान के अंदर पाया...*  *मैंने दुकान के अंदर देखा जगह-जगह देवदूत खड़े थे, एक देवदूत ने मुझे टोकरी देते हुए कहा, मेरे बच्चे ध्यान से खरीदारी करना, यहां सब कुछ है जो एक इंसान को चाहिए है...* *देवदूत ने कहा एक बार में टोकरी भर कर ना ले जा सको, तो दोबारा आ जाना फिर दोबारा टोकरी भर लेना...* *अब मैंने सारी चीजें देखी, सबसे पहले "शांति" और "धीरज" खरीदा, फिर "प्रेम", फिर "समझ", फिर एक दो डिब्बे "विवेक" के भी ले लिए...* *आगे जाकर "विश्वास" के दो तीन डिब्बे उठा लिए, मेरी टोकरी भरती गई...* *आगे गया "पवित्रता" मिली सोचा इसको कैसे छोड़ सकता हूं, फिर "शक्ति" का बोर्ड आया शक

वायु मुद्रा

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वायु मुद्रा वायु मुद्रा में तर्जनी उंगली को मोड़कर प्रथम पोरे को अंगूठे से दबाएं। 1. सभी वात रोगों में बहुत ही लाभकारी । वायु के बढ़ जाने से शरीर में पीड़ा होने लगती है , जैसे कि कमर दर्द , सरवाईकल पीड़ा , गठिया , घुटनों का दर्द , जोड़ों का दर्द , एड़ी का दर्द इत्यादि ।  इन सभी पीड़ाओं में वायु मुद्रा लगाने से कुपित वायु शान्त होती है और फलस्वरूप दर्द में आराम मिलता है। वायुमुद्रा का अभ्यास रोज 15 मिनट तक लगातार कई दिन करें । 2. अधिक वायु जोड़ों में द्रव्य को सुखा देती है । जब वायु घुटनों के जोड़ों में घुस जाती है तो दर्द होता है । इसके लिए वायु मुद्रा जोड़ों की पीड़ा में लाभदायक है । 3. दोनों हाथों की कलाई के मध्य में स्थित वात नाडी में वायु मुद्रा में बन्ध लग जाता है । गर्दन के बाएं भाग में दर्द व जकडन होने से बायें हाथ की कलाई इसी मुद्रा में क्लाक वाईज व एंटी क्लाक वाईज घुमाने से शीघ्र ही चमत्कारी लाभ होता है । इसी प्रकार गर्दन के दाएं भाग की पीड़ा में दाएं हाथ की कलाई घुमाने से लाभ होता है । 4. गैस के रोगों में भी वायु मुद्रा लाभकारी है । पेट में जब गैस बढ़ जाती है खाने

सरल जीवन

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सनातन संस्कृति में विशेष मंत्र

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*🚩🕉️15 मंत्र जो हर सनातनी को सीखने चाहिए🕉️🚩* 1. *श्री गणेश जी* वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ  निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा!! 2. *श्री महादेव जी* ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्  उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्!! 3. *श्री हरि विष्णु जी* मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः। मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥ 4. *श्री ब्रह्मा जी* ॐ नमस्ते परमं ब्रह्मा नमस्ते परमात्ने। निर्गुणाय नमस्तुभ्यं सदुयाय नमो नम:।। 5. *श्री कृष्ण जी* वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।। 6. *श्री राम जी* श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः ! 7. *मां दुर्गा जी* ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते 8. *मां महालक्ष्मी जी* ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।। 9. *मां सरस्वती जी* ॐ सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि। विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा।। 10. *मां महाकाली जी*

आँवले की उपयोगिता

आंवला के  लाभ -उपयोग आंवला एक छोटा-सा फल है, लेकिन गुणों के मामले में इसकी कोई तुलना नहीं है। लगभग हर घर में प्रयोग होने वाला यह फल कई मामलों में गुणकारी है। फिर चाहे आप इसे अचार के तौर पर खाएं या इसका जूस पिएं या फिर औषधी के तौर पर प्रयोग करें, हर लिहाज से यह फायदेमंद है। हालांकि कुछ लोग आंवला खाने के फायदे नहीं जानते, लेकिन इस कमी को हम आज पूरा कर देते हैं। आज इस लेख में हम आंवला के फायदे आपको बता रहे हैं। आंवला के अन्य नाम आंवले के कई अन्य नाम भी है, अंग्रेजी में आंवला को एम्ब्लिका मायरोबेलन या इंडियन गूजबेरी (Indian gooseberry) कहते हैं, वहीं संस्कृत में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी व पंचरसा कहते हैं। इस छोटे से फल के जितने नाम है, उतने ही इसके फायदे भी हैं। आंवला के फायदे अनेक हैं, जिन्हें हम इस लेख में आगे विस्तार से भी बताएंगे। वज़न घटाने में सहायक हड्डियों के लिए लाभदायक दिल के लिए सुरक्षित पाचन शक्ति को बढ़ाता है लिवर के लिए लाभदायक डायबिटीज में लाभकारी बालों के लिए लाभकारी त्वचा के लिए लाभदायक यहां हम आंवला के फायदों को विस्तार से वर्णित कर रहे हैं। स्वास्थ्य के लिए आंवला के फायदे

प्रातः भ्रमण

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🚶‍♂️पैदल चलिए🚶‍♂️ *******""""***"""**** 1.किसी व्यक्ति की हड्डियों और माँसपेशियों का ५०% दोनों पैरों में होता है। इसलिए उनको शक्ति देने के लिए पैदल चलिए। 2.मानव शरीर की हड्डियों का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली जोड़ पैरों में होता है। इसलिए प्रतिदिन १० हज़ार कदम पैदल चलें।  3.शक्तिशाली हड्डियाँ, सुदृढ़ माँसपेशियाँ और लचकदार जोड़ों का “लौह त्रिकोण” पैरों में होता है, जो पूरे शरीर का बोझ ढोते हैं। 4.विज्ञान के मत से मनुष्य जीवन में ७०% गतिविधियाँ और ऊर्जा का क्षय दोनों पैरों द्वारा होता है। 5.जवान मनुष्य की जाँघें इतनी शक्तिशाली होती हैं कि ८०० किग्रा वजन की एक छोटी कार को भी उठा सकती हैं। 6.शरीर के इंजन का केन्द्र पैर में होता है। 7.दोनों पैरों में मिलाकर पूरे मानव शरीर की ५०% नाड़ियाँ होती हैं। उनमें होकर ५०% रक्त कोशिकाएँ और ५०% रक्त बहता है। 8.यह रक्त प्रवाह का सबसे बड़ा नेटवर्क है। इसलिए प्रतिदिन पैदल चलिए। 9.यदि पैर स्वस्थ होंगे, तो रक्त का प्रवाह सामान्य रहता है। इसलिए जिनके पैरों की माँसपेशियाँ शक्तिशाली हैं, उनका हृदय भी शक्तिशाली होगा। इसलिए पै

मानव,आत्मा, परमात्मा

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जीवन क्या हैं? क्यों है? कैसा है? मैं कौन हूं?क्या यह सब जानने वाला मैं हूँ?पर यह जानने वाला कैसे जाना जा सकता है?इस सँसार में सब कुछ मन के कारण अनुभव होता है।पर मन के आधार को मन द्वारा नहीं जाना जा सकता। पर यह समझ सकते हैं कि एक आधार है मन का।आधार से ही सब कुछ प्रकट हो रहा है,अनुभव होता है और इसका कोई अर्थ नहीं है।अर्थात यह सब माया है,भ्रम है।उसे ध्यान देना या ऊर्जा देना भी व्यक्ति को उसी माया  में उलझा कर रखता है। तो फिर क्या करें?कुछ नहीं करें बस सजग रहें और सब कुछ होते हुए देखें जानें। देखें पर नहीं देखें,सुनें पर नहीं सुनें, स्वाद लें पर आसक्त न हों।सब कुछ होते हुए ऐसा जानें कि अनंत नाटक चल रहा है ।प्रतिक्रिया, निर्णय व दोषारोपण से बचें,यह मानव को माया में डूबा देते हैं। ईश्वर हमारे साथ हर समय हैं। ईश्वर की कृपा के अनुभव में सदा रहें। सत्य,प्रेम,आनंद,साहस,सजगता आदि सदगुणों की अभिव्यकि करते रहें। सबको क्षमा करें। धन्यवाद

रिश्ता प्रेम का

जब आप खुद से प्यार करते हैं तो आप भीतर से अमृत से भर जाते हैं और उस मिठास को दूसरों और दुनिया के साथ साझा कर सकते हैं। प्रेम के चमत्कारिक स्पंदन को बाहर निकालने में आप तदनुसार अपने दिल की इच्छाओं के अनुरूप खुश, सामंजस्यपूर्ण, सुंदर वास्तविकताओं को आकर्षित करते हैं। प्रेम एक जादुई चुम्बक है जो अच्छी और सच्ची सभी चीज़ों को अपनी ओर आकर्षित करता है, समस्याओं को सुलझाता और बदल देता है, और स्पष्टता और सच्चाई लाता है। आप जगत् के स्रोत हैं, विषय नहीं। जब आप खुद से प्यार करते हैं, दुनिया आपको वापस प्यार करती है। आपका अपने साथ जो संबंध है, वह एक ब्लूप्रिंट की तरह है, जो आपके दूसरों के साथ संबंधों की प्रकृति और गुणवत्ता को निर्धारित करता है। दूसरे के साथ एक सफल प्रेम संबंध बनाने और आकर्षित करने का रहस्य, चाहे आपने अभी तक 'अन्य' पाया हो या नहीं, स्वयं से प्रेम करने में निहित है। आत्म-प्रेम किसी भी मौजूदा रिश्ते को बढ़ाएगा, समस्याओं को दूर करेगा और इसे अगले स्तर पर ले जाएगा, साथ ही एक उचित समय पर एक स्वस्थ, इष्टतम संबंध को आकर्षित करेगा।

घर में एक कोना

घर चाहे कैसा भी हो, उसके एक कोने में, खुलकर हंसने की जगह रखना, सूरज कितना भी दूर हो, उसको घर आने का रास्ता देना, कभी कभी छत पर चढ़कर  तारे अवश्य गिनना, हो सके तो हाथ बढ़ा कर, चाँद को छूने की कोशिश करना, अगर हो लोगों से मिलना जुलना तो, घर के पास पड़ोस ज़रूर रखना, भीगने देना बारिश में, उछल कूद भी करने देना, हो सके तो बच्चों को, एक कागज़ की किश्ती चलाने देना, कभी हो फुरसत,आसमान भी साफ हो,तो एक पतंग आसमान में चढ़ाना, हो सके तो एक छोटा सा पेंच भी लड़ाना, घर के सामने रखना एक पेड़, उस पर बैठे पक्षियों की बातें अवश्य सुनना, घर के एक कोने में खुलकर हँसने की जगह रखना. 🙏
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 Books Created and published on Kindle for happiness to all. 1.The Truth Meditation https://www.amazon.in/dp/B08CCY5KS9   2. Karuna Reiki Manual (Hindi) https://www.amazon.in/dp/B097RR6DQM   करुणा का अर्थ है बेशर्त दया और प्रेम की भावना। वह भाव जिसमें सभी को दुख मुक्त करने की कामना हो।दूसरों के दुखों को अनुभव कर पाना और संवेदनशील होना तथा प्रेम और करुणा के भाव से उसे तिरोहित कर उपचार देना। करुणा रेकी सीखने के बाद आत्मज्ञानी पुरुषों के साथ जो जीवित हैं या सूक्ष्म रूप में है उनके साथ आप निकटतम संबंध बना सकते हैं और इस पद्धति को लोगों के दुखों को दूर करने में प्रयोग कर सकते हैं। 3. ॥ ब्रह्मानुचिन्तनम् ॥ https://www.amazon.in/dp/B0B8F13ZFY अहं ब्रह्मास्मि यो वेद स सर्वं भवति त्विदम् । नाभूत्या ईशते देवास्तेषामात्मा भवेद्धि सः ॥ जो "मैं ब्रह्म हूँ" को अनुभव कर लेता है , वह ब्रह्म हो जाता है। ब्रह्म ही देवताओं का व हर एक का आत्मा है।किसी के पास ब्रह्म पर शासन करने की कोई शक्ति नहीं है , क्योंकि हर एक कि मूल शक्ति ब्रह्म ही है। 4. सत्य ज्ञान ध्यान https:

सब कुछ भरपूर है।

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सब भरपूर है। पैसा भरपूर है। जीवन भरपूर है। ध्यान भरपूर है। शाँति भरपूर है। सजगता भरपूर है। सब भरपूर है। आनंद भरपूर है। खुशी भरपूर है। प्रेम भरपूर है। सब भरपूर है। स्वास्थ्य भरपूर है। शक्ति भरपूर है। साहस भरपूर है। ऊर्जा भरपूर है। संतुलन भरपूर है। शांति भरपूर है। मौन भरपूर है। करुणा भरपूर है। कृपा भरपूर है। समृद्धि भरपूर है। रचनात्मकता भरपूर है धीरज भरपूर है सृजनात्मकता भरपूर है सब कुछ भरपूर है सहयोग भरपूर है। मित्रता भरपूर है सरलता भरपूर है सहजता भरपूर है सद्भावना भरपूर है मंगल भरपूर है सुख भरपूर है समृद्धि भरपूर है सब भरपूर है सौंदर्य भरपूर है प्रकृति भरपूर है जीवन भरपूर है चेतना भरपूर है। आजादी भरपूर है। सब भरपूर है। सत्यमहेश,भोपाल 9340188863

Reiki to overcome money blocks

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Reiki for Clearing Money Blocks In the Japanese language 'Rei' means universe and 'Ki' means energy. Reiki we cannot see, but which actually operates the entire universe. The Yajurveda says, "Yatha pinde tatha brahmande, yatha brahmande tatha pinde" Which means human body and the universe are inter-related and homologous. Money is a form of energy and hence when you hold any negative or limiting thoughts in your mind, you create a blockage in the flow of money. These negative thoughts are like dunes or swamp in someone's life which will keep pulling a person  deeper inside. Take these powerful steps for healing money blocks with Reiki: First of all, clear your mind from all limiting and negative thoughts and appreciate whatever you have. Make positive affirmations, write them down in your diary and repeat them mentally while doing Reiki. Stick posters in work place or any place where you can see them frequently. Eg. - 'I am worthy of making more money&

स्वांस का आना जाना

*अभी तक खोजे गए मन्त्रो में से सबसे गहरा मन्त्र है-* *"श्वास लेना और छोड़ना"*                           *श्वास भीतर जाती है, इसका आपके प्राणों में पूरा बोध हो कि श्वास भीतर जा रही है। श्वास बाहर जाती है, इसका भी आपके प्राणों में पूरा बोध हो कि श्वास बाहर जा रही है।और आप पाएंगे कि भीतर एक गहन शांति उतर आई हैं।* यदि आप श्वास को भीतर जाते हुए और बाहर जाते हुए,भीतर जाते हुए और बाहर जाते हुए देख सकें, तो यह अभी तक खोजे गए मन्त्रो में से सबसे गहरा मन्त्र हैं। श्वास हमेशा वर्तमान में हैं। हम अतीत में श्वास नही ले सकते और न ही भविष्य में श्वास ले सकते हैं। श्वास लेना हमेशा इसी क्षण में हैं। लेकिन हम अतीत के बारे में सोच सकते हैं और हम भविष्य के बारे में सोच सकते हैं।  शरीर तो वर्तमान में होता हैं, लेकिन मन अतीत और भविष्य के बीच झूलता रहता हैं। और शरीर और मन के बीच में एक विभाजन पैदा हो जाता हैं। शरीर वर्तमान में रहता हैं और मन कभी भी वर्तमान में नही रहता हैं।और वे कभी भी मिलते नही, वे कभी एकदूसरे के सामने नही आते। और उसी विभाजन के कारण विषाद, चिंता, और तनाव पैदा होते हैं।  अनेक तनावग

आत्मज्ञान हेतु वेदों के चार महावाक्य

*आत्मज्ञान हेतु वेदो में चार महावाक्य हैं।* जैसेः *नेति नेति*  (यह भी नही, यह भी नहीं) *अहं ब्रह्मास्मि*  (मैं ब्रह्म हूँ) *अयम् आत्मा ब्रह्म*  (यह आत्मा ब्रह्म है) *यद् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे* (जो पिण्ड में है वही ब्रह्माण्ड में है) वेद की पूर्ण व्याख्या इन महावाक्यों से होती है। वेद,उपनिषद उद्घोष करते हैं कि मनुष्य देह, इंद्रिय और मन का संघटन मात्र नहीं है, बल्कि वह सुख-दुख, जन्म-मरण की मान्यता से परे चेतन दिव्यस्वरूप है, आत्मस्वरूप है। आत्मभाव से जागृत मनुष्य रूप में ब्रह्म जगत का द्रष्टा भी है और दृश्य भी। जहां-जहां ईश्वर की सृष्टि का आलोक व विस्तार है, वहीं-वहीं उसकी पहुंच है। वह आत्मस्वरूप परमात्मा  है। यही जीवन का चरम-परम पुरुषार्थ ज्ञान है। इस परम भावबोध का उद्घोष करने के लिए उपनिषद के चार महामंत्र हैं। *तत्वमसि*  (तुम वही हो), *अहं ब्रह्मास्मि*  (मैं ब्रह्म हूं), *प्रज्ञानं ब्रह्मा*  (प्रज्ञा ही ब्रह्म है), *सर्वम खिलविद्म ब्रह्मा*  (सर्वत्र ब्रह्म ही है)। उपनिषद के ये चार महावाक्य मानव के लिए महाप्राण, महोषधि एवं संजीवनी बूटी के समान हैं, जिन्हें जान व मान कर जीव तदरूप हो आनं

जल पर भावनाओं का प्रभाव

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विचारों का शरीर पर प्रभाव जब आप भ्रूण अवस्था में थे तब आप 99.9% पानी में थे। जब जन्म हुआ तब 90% पानी में थे। वयस्क अवस्था में 70% पानी हमारे सबके शरीर में रहता है व वृद्धावस्था में करीब 50% पानी हमारे शरीर में रहता है।       इस प्रकार जीवन की अधिकांश अवस्थाओं में पानी हमारे शरीर का मुख्य हिस्सा रहता है । जापान के डॉक्टर  श्री मसारू मोटो ने अपनी वैज्ञानिक खोज से व पानी के कणों की फोटो लेकर यह प्रमाणित किया है कि पानी के कण मधुर संगीत पर अच्छी प्रतिक्रिया दर्शाते हैं जबकि कठोर बेहूदे सुरों पर पानी के कणों का ढांचा खराब हो जाता है। उन्होंने अलग-अलग वातावरण बना कर जबप्रयोग किये और पानी के कणों के चित्र लिये तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा कि खुशी, सत्य, प्रेम व कृतज्ञता के लिये पानी के कणों ने सुंदर षटकोण बनाया।। https://youtu.be/1qQUFvufXp4     (देखें वीडियो)  जबकि जब इन्हीं पानी के कणों को एक कागज पर 'बेवकूफ' लिखकर उस जार पर लपेट दिया जिसमें यह पानी था तो क्रिस्टल की तस्वीर टेड़ी मेड़ी व वीभत्स सी बनी। थैन्कयू लिखने पर क्रिस्टल की तस्वीर आकर्षक बनी। इससे यह सिद्ध होता

100 benefits of Reiki

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🌺🌺🌺🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 100 BENEFITS OF REIKI 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 🌼PHYSIOLOGICAL BENEFITS:🌼 1- It lowers oxygen consumption 2- It decreases respiratory rate 3- It increases blood flow and slows the heart rate 4- Increases exercise tolerance 5- Leads to a deeper level of physical relaxation 6- Good for people with high blood pressure 7- Reduces anxiety attacks by lowering the levels of blood lactate 8- Decreases muscle tension 9- Helps in chronic diseases like allergies, arthritis etc. 10- Reduces Pre-menstrual Syndrome symptoms 11- Helps in post-operative healing 12- Enhances the immune system 13- Reduces activity of viruses and emotional distress 14- Enhances energy, strength and vigour 15- Helps with weight loss 16- Reduction of free radicals, less tissue damage 17- Higher skin resistance 18- Drop in cholesterol levels, lowers risk of cardiovascular disease 19- Improved flow of air to the lungs resulting in easier breathing 20- Decreases the aging process. 21- Higher levels of DHEAS (D

असली रेकी कौन सी है?

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रेकी: कौन सी असली है? जब हम पहली बार रेकी के संपर्क में आए, तो निश्चित रूप से हमने खुद से यह सवाल पूछा क्योंकि जब हमने रेकी पाठ्यक्रम लेने की संभावना के बारे में पूछताछ करना शुरू किया, तो हमें कई विकल्प मिले और उनमें से अधिकांश विभिन्न वाक्यांशों का उपयोग कर रहे थे जैसे: "मूल रेकी", "पारंपरिक" रेकी", "असली रेकी" इत्यादि। इस लेख में, मैं लगभग 26 वर्षों के विभिन्न उपचार उपचारों के अनुभव और रेकी होने के आधार पर इस बारे में अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करने का इरादा रखता हूँ, जिसका मैं ज्यादातर व्यापक उपचारों में उपयोग करता हूं। मैं स्पष्ट कर रहा हूं कि यह मेरा दृष्टिकोण है, पूर्ण सत्य नहीं। इन पंक्तियों को लिखने का उद्देश्य उन लोगों के लिए सजगता और शांति लाना है, जिन्हें इस अद्भुत तरीके से दीक्षा दी जा रही है, जो कि रेकी है, और यदि वे इसे अनुमति देंगे, तो यह उनके जीवन को बदल देगा। रेकी से पहले और बाद का जीवन एक नहीं होता है और यह मैं नहीं कह रहा हूं, लेकिन ज्यादातर लोग जिन्हें मैं जानता हूं या मैंने पढ़ा है, जो रेकी को प्रयोग कर रहे हैं, उनके भी अ

सँसार में कैसे रहें?

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प्रिय मित्रों,  विश्व में घट रही अंधेरी,नकारात्मक घटनाओं से अपना संतुलन न बिगाड़ें, न घृणा करें, न इनकार करें। जोहै, सो है। यह घटनाएं मानव मन की अनसुलझि भावनाओं के संदर्भ में, जो लोगों के अंतरमन में मौजूद है, उसकी अभिव्यक्ति और सामूहिक (उप-) चेतना की गहराई से गैर-सामंजस्यपूर्ण सोच का परिणाम है।  आप एक ईमानदार प्रयास अवश्य कर सकते हैं,अपने भीतर के युद्धों और द्वंदों को सुलझाने के लिए, उन लोगों के साथ शांति बनाएं। जिनके साथ आपने मुश्किल समय बिताया है। आपका जीवन (इसका मतलब यह नहीं है कि उन्होंने आपके साथ जो किया या जो उन्होंने आपसे कहा, उससे आप ठीक मानें, लेकिन उचित समझ यह हो कि अब आप उन सभी यादों के जहरीले बोझ को अपने साथ नहीं ले जाना चाहते हैं)। ईमानदारी से देखें अपने स्वयं के छाया टुकड़ों को (जो कि हम सभी के पास हैं) और उन्हें हल करें (उन्हें ले आओ प्रकाश में, हर बार खुद को थोड़ा बेहतर देखना शुरू करें)। जब प्रत्येक व्यक्ति अपनी नकारात्मक भावनाओं और विचारों की जिम्मेदारी लेना सीखता है और उन्हें मुक्त करें, तो किसी और पर हमला करने की ज़रूरत नहीं होती है, क्योंकि उनकी राय अलग

Healing Light

HEALING LIGHT  (Archangel Raphael) Your physical body has the innate ability to heal itself... But negative thinking, toxic emotions and external density can block the natural healing flow of your energy body. Archangel Raphael is on hand to assist you in peeling back the layers of density present to allow your vibrant, radiant, natural state of well-being to shine through. To invoke the healing energy of Archangel Raphael, simply think or say "Archangel Raphael please surround me in your emerald green healing light. Clear my physical, mental, emotional, and spiritual being from negativity in all its forms. Release any dense or toxic energy into  the light, and help me to stay grounded, centered and present in the energy of love. Help me to start making healthy choices in the present moment to restore my natural, radiant state of well-being." Know that when you invoke the healing light of Archangel Raphael, he will often show you how you can heal yourself. Be sure to act upon

सकारात्मक चिंतन

1.मैं हर पल ईश्वर की कृपा में हूँ। मैं एक जादुई जीवन जीता हूँ। ईश्वर के प्रेम का जादू मेरी देखभाल करता है और मैं सर्वशक्तिमान परमात्मा से प्रतिरक्षित हूँ। मैं स्वस्थ,सजग और आनंदित हूँ। मेरा मन,शरीर, विवेक हर पल ईश्वर के सद्गुणों की अभिव्यक्ति करता है।मैं ईश्वरीय अनुभूति में मस्त हूँ। मौज में हूँ।ऐसा ही है।ऐसा ही है। ऐसा ही है।धन्यवाद ईश्वर। 2.मुझे धन पसंद है।मैं इससे प्रेम करता हूँ।मैं इसका समझदारी से,सृजनात्मकता से और न्यायपूर्ण प्रयोग करता हूँ।मेरे जीवन में धन का प्रवाह लगातार हो रहा है।मैं इसे ख़ुशी से मुक्त करता हूँ और यह अद्भुत तरीक़े से कई गुना होकर मेरे पास लौटता है।यह अच्छा है,बहुत अच्छा है।मैं इसका प्रयोग सिर्फ भलाई के लिए करता हूँ।मैं अपनी आर्थिक समृद्धि और मानसिक दौलत के लिए कृतज्ञ हूँ।धन्यवाद। 3.मैं ईश्वर की तथाअपने अवचेतन मन की असीमित समृद्धि के साथ एकाकार हूँ।समृद्धि, स्वास्थ्य और सफलता मेरे जन्मसिद्ध अधिकार हैं।धन मेरी ओर मुक्तता से,प्रचुरता से और अनंतरूप से प्रवाहित हो रहा है।मैं सदा सच्चे मूल्य के प्रति सहज सचेत हूँ।मैं अपनी प्रतिभाओं को मुक्तता से देता हूँ और मुझे अत्यध

आनन्द ही आनन्द है।

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इस धरती पर जन्म लेने वाला हर मनुष्य ईश्वर की कृपा है। इस बात को मन भुला देता है,इसीलिए उसे मनुष्य कहा गया है, ईश्वर नहीं। वास्तविकता में ईश्वर ही मनुष्य की आकृति में प्रकट होता है और फिर भूल जाता है कि वह ईश्वर है। वह क्यों भूल जाता है? इसका एक कारण है कि अगर ईश्वर यह याद रखेगा कि वह ईश्वर है तो वह मनुष्य होने का आनंद नहीं ले पाएगा। मनुष्य होने का आनंद है कि मनुष्य बन कर ईश्वर को जाना जाए, पहचाना जाए और अनुभव किया जाए और उस आनंद को अभिव्यक्त किया जाए। हम,आप,वह, इस धरती पर सारे लोग उसी ईश्वर की अभिव्यक्ति हैं। परंतु अज्ञान वश भेद बुद्धि के कारण मनुष्य तुलना करता है, अच्छा, बुरा मानता है, गलत, सही करता है और इसके द्वारा जो भ्रांतियां होती हैं, उन्हें दूर करने के लिए विभिन्न उपाय करता है। वास्तविकता यह है कि मनुष्य ना कर्ता है, न ही भोक्ता। न कर्म है और नही कर्म बन्धन।हाँ, अज्ञान में किए गए कर्म बंध बना सकते हैं।इस ब्रह्मांड में सब कुछ प्रकृति के द्वारा स्व घटित स्वचालित हो रहा है। हम आप सभी कठपुतली के समान  नाटक खेल रहे हैं और इसको अपना संसार मानकर सुख और दुख में डूबते और तैर

अमीर गरीब

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यह समय 1888 का था......  नगर  के 2 हिस्सों को जोड़ने के लिए कुराकाओ नगर में एक पुल बनाया गया था। एक टोल टैक्स प्रस्तावित किया गया था लेकिन अधिकारी चाहते थे कि यह एक "प्रगतिशील" कर हो। उन्होंने तय किया कि अमीर लोग पार करने के लिए अधिक भुगतान करेंगे। लेकिन अमीर और गरीब की पहचान जल्दी कैसे करें? उनके पास एक विचार था, अमीर लोग जूते पहनते हैं (यह 1888 याद है), इसलिए उन्होंने उसी के आधार पर कर लगाने का फैसला किया। यदि आप जूते पहनकर पुल पार करते हैं, तो आप कर का भुगतान करते हैं, लेकिन यदि आप नंगे पैर हैं, तो आप मुफ्त में पार करते हैं। सरल आसान बचना मुश्किल कमाल का विचार लेकिन असफल रहा.....क्यों? अमीरों ने बस अपने जूते उतार दिए और पुल पार कर गए (कर से बचाव)। गरीब ....वे गरीब नहीं दिखना चाहते थे, इसलिए वे पुल पार करने के लिए जूते पहनते थे या जूते उधार लेते थे। यह एक सच्ची कहानी है। तो सीखना क्या हैं?  1. गरीबी छिपी हुई है फिर भी दिखाई दे रही है।  2.गरीबी मन में अधिक है।  3. अमीर कम खर्च करके अमीर बने रहते हैं। गरीब ज्यादा खर्च करके गरीब रहता है।  4. मनुष्य तर्कहीन हैं।  5. अमीरों को ह

Magical Space Meditation in 5 minutes

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Poorn Dhyan 2022 पूर्ण ध्यान में जानें आप कौन हैं?Affirm,Believe and Know now- I AM NOT THIS BODY, NOR BREATH, NOR THOUGHTS, FEELINGS OR EMOTIONS. I AM BEING OF LOVE, LIGHT AND REIKI. I AM PEACE AND HARMONY. I AM HAPPINESS. I AM ETERNAL. I AM INFINITE. I AM WHOLE. I AM BLISS. I AM HERE AND NOW. I LOVE ALL, ALL LOVE ME. I AM THAT I AM. ॐ नमः शिवाय:। ॐ नमः शिवाय:।

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Swabodh Dhyan(Self Realisation Meditation)

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