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ईश्वर की दुकान

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*सत्संग की दुकान*  ---------------------- *एक दिन मैं सड़क से जा रहा था, रास्ते में एक जगह बोर्ड लगा था, ईश्वरीय किराने की दुकान...* *मेरी जिज्ञासा बढ़ गई क्यों ना इस दुकान पर जाकर देखूं इसमें बिकता क्या है?* *जैसे ही यह ख्याल आया दरवाजा अपने आप खुल गया, जरा सी जिज्ञासा रखते हैं तो द्वार अपने आप खुल जाते हैं, खोलने नहीं पड़ते, मैंने खुद को दुकान के अंदर पाया...*  *मैंने दुकान के अंदर देखा जगह-जगह देवदूत खड़े थे, एक देवदूत ने मुझे टोकरी देते हुए कहा, मेरे बच्चे ध्यान से खरीदारी करना, यहां सब कुछ है जो एक इंसान को चाहिए है...* *देवदूत ने कहा एक बार में टोकरी भर कर ना ले जा सको, तो दोबारा आ जाना फिर दोबारा टोकरी भर लेना...* *अब मैंने सारी चीजें देखी, सबसे पहले "शांति" और "धीरज" खरीदा, फिर "प्रेम", फिर "समझ", फिर एक दो डिब्बे "विवेक" के भी ले लिए...* *आगे जाकर "विश्वास" के दो तीन डिब्बे उठा लिए, मेरी टोकरी भरती गई...* *आगे गया "पवित्रता" मिली सोचा इसको कैसे छोड़ सकता हूं, फिर "शक्ति" का बोर्ड आया शक

वायु मुद्रा

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वायु मुद्रा वायु मुद्रा में तर्जनी उंगली को मोड़कर प्रथम पोरे को अंगूठे से दबाएं। 1. सभी वात रोगों में बहुत ही लाभकारी । वायु के बढ़ जाने से शरीर में पीड़ा होने लगती है , जैसे कि कमर दर्द , सरवाईकल पीड़ा , गठिया , घुटनों का दर्द , जोड़ों का दर्द , एड़ी का दर्द इत्यादि ।  इन सभी पीड़ाओं में वायु मुद्रा लगाने से कुपित वायु शान्त होती है और फलस्वरूप दर्द में आराम मिलता है। वायुमुद्रा का अभ्यास रोज 15 मिनट तक लगातार कई दिन करें । 2. अधिक वायु जोड़ों में द्रव्य को सुखा देती है । जब वायु घुटनों के जोड़ों में घुस जाती है तो दर्द होता है । इसके लिए वायु मुद्रा जोड़ों की पीड़ा में लाभदायक है । 3. दोनों हाथों की कलाई के मध्य में स्थित वात नाडी में वायु मुद्रा में बन्ध लग जाता है । गर्दन के बाएं भाग में दर्द व जकडन होने से बायें हाथ की कलाई इसी मुद्रा में क्लाक वाईज व एंटी क्लाक वाईज घुमाने से शीघ्र ही चमत्कारी लाभ होता है । इसी प्रकार गर्दन के दाएं भाग की पीड़ा में दाएं हाथ की कलाई घुमाने से लाभ होता है । 4. गैस के रोगों में भी वायु मुद्रा लाभकारी है । पेट में जब गैस बढ़ जाती है खाने

सरल जीवन

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