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Showing posts from 2023

Reiki Healing for all

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 "Unlocking the Power of Energy: A Journey into the Reiki Healing System" Introduction: In a world where stress and anxiety often seem to be constants, the pursuit of holistic well-being has gained immense popularity. One such ancient practice that has stood the test of time is Reiki – a Japanese healing system that taps into the universal life force energy to promote balance, relaxation, and healing. Join us on a transformative journey as we explore the profound depths of the Reiki healing system. Understanding Reiki: A Universal Energy Connection The Essence of Reiki Reiki, often translated as "universal life energy," is a spiritual practice that originated in Japan in the early 20th century. At its core, Reiki is based on the belief that there is a universal energy that flows through all living things, and by harnessing this energy, practitioners can support the body's natural healing abilities. The Three Pillars of Reiki Gassho - The Power of Med

नामकरण संस्कार

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भाषा की दरिद्रता :*  नाम समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को न जाने हो क्या गया है? समाज पथभ्रष्ट एवं दिग्भ्रमित हो गया है.  एक सज्जन ने अपने बच्चों से परिचय कराया, बताया पोती का नाम *#अवीरा* है, बड़ा ही #यूनिक_नाम रखा है।  पूछने पर कि इसका *अर्थ क्या है*,  बोले कि बहादुर, ब्रेव कॉन्फिडेंशियल।  सुनते ही दिमाग चकरा गया। फिर बोले कृपा करके बताएं आपको कैसा लगा?   मैंने कहा बन्धु अवीरा तो बहुत ही *अशोभनीय नाम है*। नहीं रखना चाहिए. उनको बताया कि 1. जिस स्त्री के पुत्र और पति न हों. पुत्र और पतिरहित (स्त्री)  2. स्वतंत्र (स्त्री) उसका नाम होता है अवीरा. नास्ति वीरः पुत्त्रादिर्यस्याः  सा अवीरा  उन्होंने बच्ची के नाम का अर्थ सुना तो बेचारे मायूस हो गए,  बोले महोदय क्या करें अब तो स्कूल में भी यही नाम हैं बर्थ सर्टिफिकेट में भी यही नाम है। क्या करें? *आजकल लोग नया करने की ट्रेंड में* कुछ भी अनर्गल करने लग गए हैं जैसे कि  *लड़की हो* तो मियारा, शियारा, कियारा, नयारा, मायरा तो अल्मायरा ...  *लड़का हो* तो वियान, कियान, गियान, केयांश ... और तो और इन शब्दों के अर्थ पूछो तो   दे गूगल ...  दे याहू ... और उत्तर

औषधि विहीन उपचार

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औषधविहीन उपचार-एक शाश्वत विज्ञान अर्थात् समस्त चिकित्सानाम् त्वम् हस्ते उपचार का अन्तर्निष्ट गुण स्वयं मनुष्य के स्वत्व में स्थित है। -लेखक समस्त चिकित्सानाम् त्वम् हस्ते" ईश्वर की महानता का द्योतक है। प्रत्येक मानव को जन्म से ही यह अनुपम वरदान प्राप्त है। परन्तु अज्ञानतावश हम इसका उपयोग नहीं करते हैं। आज संसार में अनगिनत चिकित्सा विधायें है। यदि हम किसी भी चिकित्सा विधि का अध्ययन करते हैं, तो हमारा परिचय विभिन्न रोगों से तथा उनके उपचार हेतु अनेको औषधियों व किन्हीं विशेष प्रक्रियाओं से होता है। किन्तु किसी भी चिकित्सा शास्त्र अथवा प्रक्रिया में रोगी द्वारा वर्णित कारणोपचार पर कोई दिशा निर्देश नहीं है। समस्त चिकित्सा विधान और चिकित्सकगण अपने अनुभवों को ही महत्व देते है। कारण उनके लिये अर्थहीन है। एक यक्ष प्रश्न है? रोग व रोग के कारण में उपचार किस का किया जाना चाहिये ? स्वाभाविक है, रोग के कारण का उपचार ही सर्वोपरि है। आज समस्त विश्व औषधियों की भारी कमी से जूझ रहा है। जीवन रक्षक औषधियों की आपूर्ति न्यून है, तथा अन्य आवश्यक औषधियाँ या तो अप्रचलित हो गई हैं या अत्यधिक मूल्यवान और जन स

काला जादू

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काला जादू, बुरी नजर, श्राप, मंत्र, बुरी आत्माएं और नकारात्मक ऊर्जाएं - ऊर्जा चक्र को बाहर निकालना सभी नकारात्मक तत्वों को बाहर निकालने के लिए एक नया और उन्नत ईसी...। समाशोधन और निष्कासन के लिए इसका प्रयोग करें: - तंत्र मंत्र - बुरी नजर - शाप - मंत्र - ईविल स्पिरिट्स एंड एंटिटीज - विभिन्न नकारात्मक ऊर् सिर्फ प्रभावित लोगों के लिए ही नहीं, रोकथाम के लिए भी आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

मान्यताओं के बंधन और मनुष्य

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क्या आप बन्धन में हो?      एक पुरानी कहानी है कि एक धोबी के पास एक गधा था जिसे वो कपड़े लादकर लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल करता था। एक बार धोबी कपड़े धोने के लिए नदी किनारे आया। गधे की पीठ से कपड़े उतारते वक़्त उसे याद आया कि जिस रस्सी से वो गधे को पेड़ से बांध देता था, वो आज उस रस्सी को लाना भूल गया है। धोबी चिंता में पड़ गया। वो इस चिंता में  ही था कि क्या अब फिर से उसे इतनी दूर जाकर रस्सी लानी होगी क्योंकि नहीं तो मेरे कपड़े धोने जाते ही ये गधा तो कहीं चला जायेगा।       वो ये सब सोच ही रहा था कि उधर से एक आदमी गुज़रा जो समझदार दिखता था। धोबी ने अपनी बात उस से कह डाली और उससे किसी उपाय की आशा करने लगा। उस आदमी ने धोबी की पूरी बात धैर्य से सुनी और उससे कहा कि रस्सी लाने की आवश्यकता नहीं है बस जब रस्सी होने पर तुम जिस प्रकार अपने गधे को बांधते आए हो ठीक उसी प्रकार का अभिनय करो। काल्पनिक रस्सी से गधे को बांध दो। धोबी ने ठीक वैसा ही किया और बिल्कुल वैसे ही अपने गधे को थपथपाया जैसे वो रस्सी मजबूती से बांधने के बाद थपथपाया करता था।      धोबी कपड़े धोता जाता और बीच-बीच में दूर बंधे अपने

कुंएँ का मेंढक और समुद्र की मछली|

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कुंएँ का मेंढक और समुद्र की मछली| एक कुँए मे एक मेंढक रहता था, उसका वही सँसार था। उसने आकाश भी उतना ही देखा था, जितना कुएँ के अंदर से दिखाई देता है, इसलिए उसकी सोच की सीमा कुएँ तक ही सीमित थी। एक दिन नीचे पानी के रास्ते से कुंएँ में समुद्र की एक छोटी सी मछली आ पहुंची।जब उन दोनों की बातचीत हुई । मछली ने पूछा कि तुम्हे पता है समुद्र कितना बड़ा होता है ? मेंढक ने एक छलांग लगाई बोला इतना होगा। मछली बोली -नही, इससे बहुत बड़ा है। मेंढक ने फिर एक किनारे से आधे हिस्से तक छलांग लगाई।फिर बोला इतना होगा। फिर मछली बोली कि नहीं। इस बार मेंढक ने अपना पूरा जोर लगाते हुए एक सिरे से दूसरे सिरे तक छलांग लगाई और बोला कि इससे बड़ा हो ही नही सकता, मछली बोली नही समुद्र इससे बहुत बड़ा है । मेंढक को विश्वास ही नही हुआ, उसको लगा कि मछली झूठ बोल रही है। दोनों ही अपनी अपनी जगह सही थे।अंतर था तो उनकी सोच में मछली की सोच अपने माहौल के हिसाब से थी और मेंढक की  सोच भी जिस वातावरण में वो रहता था, ठीक वैसी ही थी।मित्रों, हमारे जीवन में भी तो यही होता है। जिस वातावरण, स्थिति में हम रहते है, हमको लगता है,यही जीव

नाम और संस्कार

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*बच्चों का नाम बहुत सावधानी से रखें।* सनातन धर्म में सोलह संस्कार बताए गए हैं। इनमें से नामकरण संस्कार को बेहद महत्वपूर्ण संस्कार में माना गया है। नाम किसी भी व्यक्ति के लिए पूरे जीवन की पहचान होता है।          ज्योतिष के अनुसार, नाम का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव और भाग्य पर भी पड़ता है। इसलिए नाम रखने से पहले कुछ बातों पर विचार जरूर कर लें। तो चलिए जानते हैं कि बच्चे का नाम रखने से पहले किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए :-  *नाम के अर्थ का रखें ध्यान।* आज के समय में लोग चाहते हैं कि उनके बच्चें का नाम कुछ हटकर नया होना चाहिए। इसलिए जो नाम वे सीरियल या फिल्मों में देखते हैं, वही नाम वे अपने बच्चों का रख देते हैं, लेकिन बच्चें का नाम रखने से पहले उसका अर्थ जानना बेहद जरूरी होता है। अपने बच्चें के लिए एक ऐसा नाम चुनें जिसका अर्थ अच्छा व सकारात्मक हो, क्योंकि बच्चें के नाम का प्रभाव उसके पूरे व्यक्तित्व पर पड़ता है।। *नामकरण के लिए सही   दिन का चुनाव करें* नामकरण के लिए चुनें सही दिन-                 बच्चे के जन्म के बाद ग्यारहवें या सोलहवें दिन नामकरण संस्कार किया जाता है लेकिन इस बात का ध

बच्चे मन के सच्चे

गर्भस्थ शिशु को चेतना  "क्या गर्भ में पल रहे बच्चे को या दूध पीने वाले बच्चे को भी ज्ञान दिया जा सकता है"  बच्चा जितना छोटा होता है उसमें किसी भी माध्यम से विचारों को ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है। जब बच्चा मां के पेट में होता है तो मां का रोम-रोम उसकी आंख नाक कान होते हैं, उसका मस्तिष्क होते हैं। उसके देखने सुनने व समझने की शक्ति हजारो लाखो गुना होती है, इसलिए बच्चा मां के पेट में कहीं अधिक जल्दी सीख और समझ सकता है। जिस कार्य को सीखने के लिए  सालों या महीने लगते हैं,वह कार्य बच्चा गर्भ में घंटों में सीख सकता है। यही वह समझ थी जिस का प्रयोगिक रूप भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को सिखाया और अर्जुन ने उसका प्रयोग अपनी पत्नी पर किया। जब वह गर्भवती थी, अभिमन्यु उसके गर्भ में था  अभिमन्यु ने चक्रव्यूह तोड़ने का ज्ञान गर्भ में ही प्राप्त किया था। यदि कोई गर्भवती स्त्री चाहती है कि वह किसी विशेष बच्चे को जन्म दे। जैसे  वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर, नेता, अभिनेता या ऋषि-मुनि।  मानो वह एक श्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी को जन्म देना चाहती है, तो गर्भ के दौरान माता को चाहिए कि उसकी सभी क्रियाएं

सेवा की भावना

*यह कहानी किसी ने मुझे भेजी है ; अच्छी लगी तो सोचा आप सबको भी बताऊँ*   *कृपया इसे जरूर पढ़ें: ‐*  *वासु भाई और वीणा बेन* गुजरात के एक शहर में रहते हैं; आज दोनों यात्रा की तैयारी कर रहे थे  3 दिन का अवकाश था; पेशे से चिकित्सक हैं  लंबा अवकाश नहीं ले सकते थे। परंतु जब भी दो-तीन दिन का अवकाश मिलता छोटी यात्रा पर कहीं चले जाते हैं              आज उनका इंदौर- उज्जैन जाने का विचार था दोनों जब साथ-साथ मेडिकल कॉलेज में पढ़ते थे, वहीं पर प्रेम अंकुरित हुआ था और बढ़ते-बढ़ते वृक्ष बना  दोनों ने परिवार की स्वीकृति से विवाह किया 2 साल हो गए,अभी संतान कोई है नहीं, इसलिए यात्रा का आनंद लेते रहते हैं                विवाह के बाद दोनों ने अपना निजी अस्पताल खोलने का फैसला किया, बैंक से लोन लिया  वीणाबेन स्त्री-रोग विशेषज्ञ और वासु भाई डाक्टर आफ मैडिसिन हैं  इसलिए दोनों की कुशलता के कारण अस्पताल अच्छा चल निकला यात्रा पर रवाना हुए, आकाश में बादल घुमड़ रहे थे  मध्य-प्रदेश की सीमा लगभग 200 कि मी दूर थी; बारिश होने लगी थी म.प्र. सीमा से 40 कि.मी. पहले छोटा शहर पार करने में समय लगा  कीचड़ और भारी यातायात में ब

जल और सकारात्मक सोच

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जल और सकारात्मक सोच विचारों का शरीर पर प्रभाव जब आप भ्रूण अवस्था में थे तब आप 99.9% पानी में थे। जब जन्म हुआ तब 90% पानी में थे। वयस्क अवस्था में 70% पानी हमारे सबके शरीर में रहता है व वृद्धावस्था में करीब 50% पानी हमारे शरीर में रहता है।       इस प्रकार जीवन की अधिकांश अवस्थाओं में पानी हमारे शरीर का मुख्य हिस्सा रहता है । जापान के डॉक्टर  श्री मसारू मोटो ने अपनी वैज्ञानिक खोज से व पानी के कणों की फोटो लेकर यह प्रमाणित किया है कि पानी के कण मधुर संगीत पर अच्छी प्रतिक्रिया दर्शाते हैं जबकि कठोर बेहूदे सुरों पर पानी के कणों का ढांचा खराब हो जाता है। उन्होंने अलग-अलग वातावरण बना कर जबप्रयोग किये और पानी के कणों के चित्र लिये तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा कि खुशी, सत्य, प्रेम व कृतज्ञता के लिये पानी के कणों ने सुंदर षटकोण बनाया।। https://youtu.be/1qQUFvufXp4    (देखें वीडियो)  जबकि जब इन्हीं पानी के कणों को एक कागज पर 'बेवकूफ' लिखकर उस जार पर लपेट दिया जिसमें यह पानी था तो क्रिस्टल की तस्वीर टेड़ी मेड़ी व वीभत्स सी बनी। थैन्कयू लिखने पर क्रिस्टल की तस्वीर आकर्षक बनी।

परम आनंद और मन का खेल

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सतत आनंद और मन की अनंत कामनायें। हर व्यक्ति जीवन में आनंद खुशियां और प्रेम चाहता है और उसकी यह मान्यता है की उसकी जो कामनाएं हैं वह पूर्ण हो जाएंगी तो उसे आनंद प्राप्त होगा यह मन का ऐसा जाल है जो व्यक्ति को कामनाएं पूरा करने में उलझा करके रखता है और व्यक्ति एक के बाद दूसरी कामना पूर्ण करता है जिससे कि उसे हर कामना पूर्ण होने पर आनंद मिलता है परंतु पूरा आनंद सतत आनंद उसे कामना रहित होने पर मिलेगा यह मन नहीं समझ पाता क्योंकि मनका एक ही प्रोग्राम है की इच्छा पूरी होगी तभी आनंद मिलेगा इसीलिए व्यक्ति निरंतरता से इच्छाएं जगाता है और उन्हें पूर्ण करने के लिए प्रयत्न करता है और यह कार्य बिना समझ के करता रहता है और इच्छा पूर्ण होने पर सुखी और अपूर्ण होने पर दुखी होता रहता है।क्या आपके साथ भी ऐसा ही हो जाता है?

Divine Tune to Activate 7 chakras with ease.

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शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् वही आत्मा सच्चिदानंद मैं हूँ ।  अमर आत्मा सच्चिदानंद मैं हूँ । शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्   अखिल विश्व का जो परम आत्मा है,  सभी प्राणियों का वही आत्मा है ।।१।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् अमर आत्मा है मरणशील काया ,  सभी प्राणियों के जो भीतर समाया ।।२।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् जिसे न शस्त्र काटे , न अग्नि जलावे,  बुझावे न पानी ,न मृत्यु मिटावे ।।३।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् है तारों-सितारों में आलोक जिसका,  है सूरज व चंदा में आभास जिसका।।४।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् है व्यापक जो कण कण में है वास जिसका,  नहीं तीनों कालों में हो नाश जिसका।।५।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् अजर औ अमर जिसको वेदों ने गाया,  वही ज्ञान अर्जुन को हरि ने सुनाया।।६।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

भोजन और हमारा स्वास्थ्य

खाना खाने के बाद पेट में खाना पचेगा या खाना सड़ेगा।इसीपर शरीर का स्वास्थ्य निर्भर करता है। ये जानना बहुत आवश्यक है कि ... हमने रोटी खाई, हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी ,दूध,दही छाछ लस्सी फल आदि|, ये सब कुछ भोजन के रूप में हमने ग्रहण किया ये सब कुछ हमको ऊर्जा देता है और पेट उस ऊर्जा को पूरे शरीर में प्रेषित करता है | पेट में एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते हैं "आमाशय" ,उसी स्थान का संस्कृत नाम है "जठर"| उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते हैं " epigastrium "| यह एक थैली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी में आता है। ये बहुत छोटा सा स्थान है इसमें अधिक से अधिक 350 ग्राम खाना आ सकता है | हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय में आ जाता है| आमाशय में अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे"जठराग्नि"।ये जठराग्नि  वो अमाशय में प्रदीप्त होने वाली आग है,जो भोजन को पचाने में सहायक है । ऐसे ही पेट मे होता है जैसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी | यह ऑटोमेटिक है,जैसे

स्वास्थ्य और जैविक घड़ी

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स्वास्थ्य और जैविक घड़ी BIO-CLOCK _______________ हमें कहीं बाहर जाना है या कुछ काम है तो हम clock का  alarm 4.00 बजे सुबह का लगा कर सो जाते हैं। पर कभी कभी हम Alarm के पहले ही उठ जाते हैं, या ठीक 4 बजे अलार्म बजने के कुछ पल पहले नींद खुल जाती है । This is Bio-clock. बहुत से लोग ये मानते है कि वो 80 - 90 की age में ऊपर जाएंगे। अधिकांश लोग ये विश्वास करते हुए अपनी स्वयं की  Bio-clock मन में उसी तरह से set कर लेते है, की 50-60 की उम्र में सभी बीमारियां उन्हे घेर लेंगी। तभी लोग सामान्यतः  50-60 की उम्र में अज्ञानता से बीमारियों से घिर जाते है और जल्दी भगवान को प्यारे हो जाते हैं। Actually हम बेहोशी में अपनी  गलत Bio-clock  सेट कर लेते है। जापान में लोग आराम से live 100 साल जीते है। उनकी Bio-clock उसी तरह set रहती है। So friends, 1. हम लोग अपनी Bio-clock इस तरह set करेंगे जिससे हम लोग कम से कम 100 years जी सकें.  स्मरण रखिए Age is just a Number, but "Old Age" is mindset. कुछ लोग 75 साल की उम्र में young अनुभव करते है तो कुछ लोग at 50 years में भी खुद को बूढ़ा अनुभव करते हैं। 2. हम

निरंतरता से सफलता

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Life management basics परिश्रम क्यों आवश्यक है? कोई विकल्प है इसका क्या? नहीं कोई विकल्प नहीं है। 1990 में मनोवैज्ञानिक k andrshon ने एक रिसर्च किया। उसने बर्लिन की म्यूजिक अकेडमी के विख्यात पर संगीतकारों पर और उनकी प्रैक्टिस का डेटा तैयार किया । जो उसने परिणाम पाया उसे मैं यहाँ शेयर कर रहा हूँ। कोई भी संगीतकार जिसने सफलता की ऊंचाई को छुआ है उसके पहले उसने 10000 घंटे की प्रैक्टिस की थी। जो प्रतिदिन 1 घंटे प्रैक्टिस करते थे उनको सफलता 25 से 30 साल में मिली। जो 2 घंटे प्रतिदिन काम करते थे उसे सफलता 12 से 15 साल में मिली। जिन्होंने 4 से 5 घंटे प्रतिदिन प्रैक्टिस किया उनको सफलता 6 से 7 साल में मिल गई। इस से ये साफ हो जाता है की 10000 घंटे की प्रैक्टिस करने पर ही आप किसी चीज में सफल हो सकते हैं। आप अपने प्रैक्टिस के घंटे बढाकर सफलता को और भी कम समय में प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही कम उम्र में ही प्रैक्टिस प्रारम्भ के देना चाहिए। आप जिस काम में सफलता चाहते है उसके लिए इतनी तैयारी आपको करनी ही होगी। दुर्भाग्य से हम सभी भारत में सफलता को नोकरी और पढाई से ही जोड़ लेते हैं। वास्तव में आप बहुत बड़े

Be Proactive

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Brilliant article, Ducks Quack, Eagles Soar I was waiting in line for a ride at the airport in Delhi. When a cab pulled up, the first thing I noticed was that the taxi was polished to a bright shine. Smartly dressed in a white shirt, black tie, and freshly pressed black slacks, the cab driver jumped out and rounded the car to open the back passenger door for me. He handed me a laminated card and said:  'I'm Asim your driver. While I'm loading your bags in the trunk I'd like you to read my mission statement.' Taken aback, I read the card. It said: Asim's Mission Statement: To get my customers to their destination in the quickest, safest and cheapest way possible in a friendly environment. This blew me away. Especially when I noticed that the inside of the cab matched the outside. Spotlessly clean! As he slid behind the wheel, Asim said, 'Would you like a cup of coffee? I have a thermos of regular and one of decaf.' I said jokingly, 'No, I&