Posts

Showing posts from October, 2020

स्वप्न फल

साधनाओं से संजीवनी: *✳स्वप्न फल विचार ✳* 1- सांप दिखाई देना- धन लाभ 2- नदी देखना- सौभाग्य में वृद्धि 3- नाच-गाना देखना- अशुभ समाचार मिलने के योग 4- नीलगाय देखना- भौतिक सुखों की प्राप्ति 5- नेवला देखना- शत्रुभय से मुक्ति 6- पगड़ी देखना- मान-सम्मान में वृद्धि 7- पूजा होते हुए देखना- किसी योजना का लाभ मिलना 8- फकीर को देखना- अत्यधिक शुभ फल 9- गाय का बछड़ा देखना- कोई अच्छी घटना होना 10- वसंत ऋतु देखना- सौभाग्य में वृद्धि 11- स्वयं की बहन को देखना- परिजनों में प्रेम बढऩा 12- बिल्वपत्र देखना- धन-धान्य में वृद्धि 13- भाई को देखना- नए मित्र बनना 14- भीख मांगना- धन हानि होना 15- शहद देखना- जीवन में अनुकूलता 16- स्वयं की मृत्यु देखना- भयंकर रोग से मुक्ति 17- रुद्राक्ष देखना- शुभ समाचार मिलना 18- पैसा दिखाई- देना धन लाभ 19- स्वर्ग देखना- भौतिक सुखों में वृद्धि 20- पत्नी को देखना- दांपत्य में प्रेम बढ़ना 21- स्वस्तिक दिखाई देना- धन लाभ होना 22- हथकड़ी दिखाई देना- भविष्य में भारी संकट 23- मां सरस्वती के दर्शन- बुद्धि में वृद्धि 24- कबूतर दिखाई देना- रोग से छुटकारा 25- कोयल देखना- उत्तम स्वास्थ्य की

Nine Hurbs for healthy Body

*इन नौ औषधियों में वास है नवदुर्गा का* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ मां दुर्गा नौ रूपों में अपने भक्तों का कल्याण कर उनके सारे संकट हर लेती हैं।व  इस बात का जीता जागता प्रमाण है, संसार में उपलब्ध वे औषधियां,जिन्हें मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के रूप में जाना जाता है। नवदुर्गा के नौ औषधि स्वरूपों को सर्वप्रथम मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति के रूप में दर्शाया गया। चिकित्सा प्रणाली का यह रहस्य वास्तव में ब्रह्माजी ने दिया था जिसे बारे में दुर्गाकवच में संदर्भ मिल जाता है। ये औषधियां समस्त प्राणियों के रोगों को हरने वाली हैं।  शरीर की रक्षा के लिए कवच समान कार्य करती हैं। इनके प्रयोग से मनुष्य अकाल मृत्यु से बचकर सौ वर्ष जी सकता है। आइए जानते हैं दिव्य गुणों वाली नौ औषधियों को जिन्हें नवदुर्गा कहा गया है। *१ प्रथम शैलपुत्री यानि हरड़*👉 नवदुर्गा का प्रथम रूप शैलपुत्री माना गया है। कई प्रकारकी समस्याओं में काम आने वाली औषधि हरड़, हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप हैं। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है, जो सात प्रकार की होती है। इसमें हरीतिका (हरी) भय को हरने वाली है। *पथया* - जो हित करने वाली

शरीर हत्या

#ओशो ने #आत्महत्या के  बारे  मै  कुछ #खास  बात बोली  हैं .. तुम आत्महत्या के बारे में क्यों सोचते हो? क्या तुम पागल हो या और कुछ? मुझे पता है कि तुम जीवन से ऊब गये हो। यदि तुम सचमुच ऊब गये हो तो आत्महत्या नहीं करो, क्योंकि आत्महत्या तुम्हें फिर इसी #जीवन में #घसीट #लायेगी -- और हो सकता है कि इससे भी अधिक भद्दा जीवन तुम्हें मिले, जैसा कि अभी तुम्हारा है; क्योंकि आत्महत्या तुम्हारे भीतर और भी अधिक गंदगी पैदा कर देगी। आत्महत्या करना #अस्तित्व का #अनादर है! अस्तित्व ने तुम्हें विकसित होने के लिये जीवन का अवसर दिया, और तुम इस अवसर को यूँ ही व्यर्थ गँवा देते हो। और जब तक कि तुम #विकसित नहीं होते और विकसित होकर बुद्ध नहीं बन जाते, तब तक तुम जीवन में बार-बार फेंके जाओगे। लाखों बार पहले भी यह हो चुका है -- अब समय है, अब जागो! इस अवसर को चूको मत! यहाँ मेरे साथ रहकर असली आत्महत्या की कला सीखो। असली कला में अपनी देह को नष्ट नहीं किया जाता है। देह सुंदर है, देह ने कुछ भी गलत नहीं किया है। यह तो मन है, जो असुंदर है। आत्मा भी सुंदर है, लेकिन देह और आत्मा के बीच कुछ है, जो न तो देह है, न ही आत्मा -- य

Reiki Cure

क्या आप जानना चाहते हैं? 1. यदि स्वास्थ्य दवाइयों से मिलता तो कोई भी डॉक्टर, केमिस्ट, वैद्य उनके परिवार का सदस्य कभी बीमार नहीं पड़ता। 2. स्वास्थ्य खरीदने से मिला तो संसार में कोई भी धनवान रोगी नहीं रहता। 3.स्वास्थ्य दवाइयों से नहीं मिलता,दवाईयों से लाभ की सीमा होती है, परन्तु संयम ओर स्वास्थ्य के नियमों के पालन करने से पूर्ण स्वास्थ्य मिलता है। 4. औषधालय बीमार पड़ने पर दवा खाते रहने के लिये परामर्श देते हैं।  रेकी उपचार सेआप स्वास्थ्य  हेतु स्वावलम्बी बनते हैं।  5. रेकी चिकित्सा के ज्ञान तथा प्रयोग से बिना दवाई भी स्वस्थ रहना सम्भव है। 6. दवा रोग को दबाती है, ऑपरेशन शरीर में त्रुटि उत्पन्न कर सदा रोगी बनाए रखता है और संयम व नियम पालन तथा रेकी चिकित्सा से स्थाई स्वास्थ्य तथा दवा और ऑपरेशन से मुक्ति मिलती है। 7. दवाइयों से निराश होने के पश्चात रेकी चिकित्सा की शरण में आने के बजाय यदि अस्वस्थ होने के पहले ही रेकी चिकित्सा का सहारा लिया जाये तो कम समय में स्वास्थ्य प्राप्त होगा और शरीर में विषैली रसायन के भरने अथवा ऑपरेशन कराने से एवं दवाइयों के खर्च से भी बच सकते हैं। एक व्यक्ति के बीमार

सरल जीवन

*ख़ुद को समझो*  हम अपने घर के दरवाजे व खिड़कियाँ बन्द करके रखते हैं। सूर्य आता है, हमारे द्वार पर खड़ा रहता है और दस्तक देता है। अब यह हमारी इच्छा पर निर्भर करता है कि हम अपना दरवाजा खोलें या नहीं। चुपचाप मौन खड़ा वह हमारी प्रतीक्षा करता रहता है। अपने प्रति हमारे द्वारा की गई अपेक्षा या उदासीनता को देखकर वह हमसे कोई गिला-शिकवा किए बिना ही वापिस लौट जाता है।        सूर्य ने कभी इसे अपने अहम का प्रश्न नहीं बनाया। यदि हमारे इस व्यवहार से सूर्य अपना अपमान समझ लेता तो हम लोगों की तरह हमारी शक्ल दुबारा न देखने की कसम खा लेता। अब सोचिए यदि ऐसा हो जाए और सूर्य अगले दिन से ही उदय होने से इन्कार कर दे तो क्या स्थिति हो जाएगी? चारों ओर हाहाकार मच जाएगा। सम्पूर्ण पृथ्वी पर शीत का ही साम्राज्य हो जाएगा। चारों ओर बर्फ-ही-बर्फ जम जाएगी। फिर हर तरफ त्राहि-त्राहि मच जाएगी। हम सभी जीवों का जीवन तत्काल ही समाप्त हो जाएगा।        ईश्वर निर्मित सम्पूर्ण सृष्टि इस प्रकार हमारी बेवकूफियों व गुस्ताखियों को नजरअंदाज करके हमें ईश्वरीय नेमतों से मालामाल करती है।        जब प्रकृति हमारी गलतियों की हमें सजा नहीं देती