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शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् वही आत्मा सच्चिदानंद मैं हूँ ।  अमर आत्मा सच्चिदानंद मैं हूँ । शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्   अखिल विश्व का जो परम आत्मा है,  सभी प्राणियों का वही आत्मा है ।।१।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् अमर आत्मा है मरणशील काया ,  सभी प्राणियों के जो भीतर समाया ।।२।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् जिसे न शस्त्र काटे , न अग्नि जलावे,  बुझावे न पानी ,न मृत्यु मिटावे ।।३।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् है तारों-सितारों में आलोक जिसका,  है सूरज व चंदा में आभास जिसका।।४।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् है व्यापक जो कण कण में है वास जिसका,  नहीं तीनों कालों में हो नाश जिसका।।५।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् अजर औ अमर जिसको वेदों ने गाया,  वही ज्ञान अर्जुन को हरि ने सुनाया।।६।।  शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्

भोजन और हमारा स्वास्थ्य

खाना खाने के बाद पेट में खाना पचेगा या खाना सड़ेगा।इसीपर शरीर का स्वास्थ्य निर्भर करता है। ये जानना बहुत आवश्यक है कि ... हमने रोटी खाई, हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी ,दूध,दही छाछ लस्सी फल आदि|, ये सब कुछ भोजन के रूप में हमने ग्रहण किया ये सब कुछ हमको ऊर्जा देता है और पेट उस ऊर्जा को पूरे शरीर में प्रेषित करता है | पेट में एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते हैं "आमाशय" ,उसी स्थान का संस्कृत नाम है "जठर"| उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते हैं " epigastrium "| यह एक थैली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी में आता है। ये बहुत छोटा सा स्थान है इसमें अधिक से अधिक 350 ग्राम खाना आ सकता है | हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय में आ जाता है| आमाशय में अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे"जठराग्नि"।ये जठराग्नि  वो अमाशय में प्रदीप्त होने वाली आग है,जो भोजन को पचाने में सहायक है । ऐसे ही पेट मे होता है जैसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी | यह ऑटोमेटिक है,जैसे