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रेकी दिनचर्या

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रेकी दिनचर्या - संपूर्ण स्वास्थ्य एवं रूपातरण के लिये। रेकी शक्ति प्राप्त करने के बाद आपको यह ज्ञान हो जाता है कि सब कुछ ऊर्जा है और उर्जा विचारों से निर्देशित होती है।इसलिए हर दिन रेकी ऊर्जा का लाभ लेते रहने के लिए अपने आप को ऊर्जा रूप में जानते रहने के लिए तथा जीवन में निरंतर उन्नति प्राप्त करने के लिए निम्न रेकी दिनचर्या का प्रयोग करें। प्रातः उठते ही प्रार्थना करें- हे ईश्वर,आपकी कृपा से मेरे दोनों हाथ सौभाग्यशाली है, औषधीयुक्त स्पर्श वाले हैं, पूर्ण शक्तियुक्त है इन हाथों से हम सबके जीवन में प्रेम, सहयोग, स्वास्थ्य एवं समृद्धि फैला सकें। अपने हाथों को रगड़कर आंख पर रख दें। अगम अगोचर सर्वव्यापी परमेश्वर की धारणा करें। इतना सब कुछ,इतनी शक्तियां देने के लिये (Abundance के लिये) हृदय से धन्यवाद दें।तत्पश्चात उत्साह से नवजीवन का अनुभव करते हुये सबसे पहले उठकर घर के बाहर आकाश को देखें, सूर्य को देखें, पेड़ पौधों, पक्षियों को प्रेम से देखें, चारों तरफ बहती हुई जीवन की तरंगों को अनुभव करें। द्वितीय डिग्री में बताई गई पेट से श्वास लेने की 21 बार गहरी श्वास का अभ्यास करें। आंखों

चमत्कारी स्वर विज्ञान

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चमत्कारी स्वर विज्ञान मानव जीवन से श्वाँस का बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध है। साधारण बोल चाल में तो यह ही कहा जाता है कि "जब तक साँस तब तक आस।" इसका आशय यही हुआ कि साँस से ही जीवन है। यद्यपि यह सभी को अनुभव है कि हमारी जीवन-धारा का सबसे बड़ा आधार यह श्वास-प्रश्वास ही है, पर इस श्वासोच्छास में कोई विशेष रहस्य है, कोई बड़ी शक्ति निहित है, इसका ज्ञान बहुत थोड़े लोगों को है। पर जिन ज्ञानीजनों ने इस विषय में खोज की है वे इस निर्णय पर पहुँचे हैं कि मानव जीवन की प्रत्येक क्रिया से इस श्वास-प्रश्वास का सम्बन्ध है। सुख-दुःख, स्वास्थ्य, रोग सब प्रकार की आपत्तियाँ और सफलता आदि सभी बातों पर इसका प्रभाव पड़ता है और यदि आप इस विषय से सम्बन्ध रखने वाले नियमों को जान ले व अभ्यास करें तो वह जीवन के हर क्षेत्र में बहुत लाभ उठा सकते हैं।सनातन संस्कृति के ऋषियों ने इस विषय का बहुत सूक्ष्म रूप से विवेचन करके "शिवस्वरोदय' नाम का एक स्वतंत्र विज्ञान का उपहार विश्व को दिया है। इस शास्त्र में बतलाया गया है कि मनुष्य के पृष्ठ देश में तीन नाड़ियाँ हैं- इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना। मनुष्य जो श्वास लेता है,

सकारात्मक ऊर्जा

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 *तनाव मुक्ति व सकारात्मक बनने के सरल उपाय*  1. जीवन की हर घटना में किसी न किसी रूप से आपको लाभ ही होता है।परोक्ष रूप से होने वाले लाभ के बारे में ही सदैव सोचिये। २. भूतकाल में हुई भूल व गलतियों का पश्चाताप न करें तथा भविष्य की चिंता न करें।वर्तमान को सफल बनाने के लिए पूरा ध्यान दीजिये।वर्तमान ही आपके हाथ में है।आज रचनात्मक कार्य करेंगें तो कल का पश्चाताप नहीं रहेगा और वर्तमान आनंद से व्यतीत होगा तथा भविष्य में अवश्य रोशन होगा। 3. आप अपने जीवन की तुलना अन्य के साथ कर चिंतित न हों।क्योंकि इस विश्व में आप  महत्वपूर्ण, अनोखे और विशिष्ट हैं।इस विश्व में आपके जैसा और कोई नहीं है। 4. सदैव याद रखिये कि आपकी निंदा करने वाला आपका मित्र है, जो आपसे बिना मूल्य एक मनोचिकित्सक की भांति आपकी गलतियों व आपकी खामियों की तरफ आपका ध्यान खिचवाता है। 5. आप दुख पहुँचाने वाले को क्षमा कर दो तथा उसे भूल जाओ। 6. सभी समस्याओं को एक साथ सुलझाने का प्रयत्न करने की गलती नहीं करें।एक समय पर एक ही समस्या का समाधान करें।समस्या को चुनौती मानें ,समस्या नहीं। 7. जितना हो सके उतना दूसरों के सहयोगी बनने का प्र