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बच्चों का विकास

*बच्चों का सही समय पर उचित विकास* *प्रिय अभिभावकगण* निश्चित ही आप एक समझदार योग्यऔर प्रेमपूर्ण माता-पिता हैं, जो अपने बच्चों से प्रेम करते हैं तथा आपकी यह भावना होती है कि आपका प्यारा बच्चा योग्य, साहसी, विद्वान, विवेकी,स्वस्थ एवं शांत हो।वह बड़ा होकर के देश का एक महान नागरिक बने। विश्वास करें कि मेरी भी यह शुभ भावना है कि भारत के सभी बच्चे तथा युवा विद्वान सफल, सहनशील, विवेकशील,शक्तिशाली और योग्य बनें।अगर आप भी वास्तव में ऐसा ही चाहते हैं इसकी शुरुआत आपको आज व अभी ही करनी होगी। क्या आपको यह मालूम है की बच्चा जो भी अपने जन्म से लेकर के 3 साल की उम्र तक सीखता है, उसी के अनुसार पूरे जीवन उसका व्यवहार आचार और जीवन होता है।इसका तात्पर्य यह है कि बचपन में या कहें कि जब तक बच्चा 4 या 5 साल का होता है तब तक उसमें प्रेमकरुणा,धैर्य,साहस इत्यादि सदगुणों को सहज में विकसित करने की कितनी बड़ी और जरूरी जिम्मेदारी है और उस उम्र में बच्चे के माता, पिता, दादा, दादी,नाना, नानी, चाचा, चाची,मामा, मामी, जो कुछ भी बोलते हैं,जो कुछ भी उसके सामने व्यवहार करते हैं, जो कुछ भी उसको समझाइश देते हैं। उस का प्रभा

बच्चो का विकास

*बच्चों का सही समय पर उचित विकास* *प्रिय अभिभावकगण* निश्चित ही आप एक समझदार योग्यऔर प्रेमपूर्ण माता-पिता हैं, जो अपने बच्चों से प्रेम करते हैं तथा आपकी यह भावना होती है कि आपका प्यारा बच्चा योग्य, साहसी, विद्वान, विवेकी,स्वस्थ एवं शांत हो।वह बड़ा होकर के देश का एक महान नागरिक बने। विश्वास करें कि मेरी भी यह शुभ भावना है कि भारत के सभी बच्चे तथा युवा विद्वान सफल, सहनशील, विवेकशील,शक्तिशाली और योग्य बनें।अगर आप भी वास्तव में ऐसा ही चाहते हैं इसकी शुरुआत आपको आज व अभी ही करनी होगी। क्या आपको यह मालूम है की बच्चा जो भी अपने जन्म से लेकर के 3 साल की उम्र तक सीखता है, उसी के अनुसार पूरे जीवन उसका व्यवहार आचार और जीवन होता है।इसका तात्पर्य यह है कि बचपन में या कहें कि जब तक बच्चा 4 या 5 साल का होता है तब तक उसमें प्रेमकरुणा,धैर्य,साहस इत्यादि सदगुणों को सहज में विकसित करने की कितनी बड़ी और जरूरी जिम्मेदारी है और उस उम्र में बच्चे के माता, पिता, दादा, दादी,नाना, नानी, चाचा, चाची,मामा, मामी, जो कुछ भी बोलते हैं,जो कुछ भी उसके सामने व्यवहार करते हैं, जो कुछ भी उसको समझाइश देते हैं। उस का प्रभा