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Showing posts from September, 2023

औषधि विहीन उपचार

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औषधविहीन उपचार-एक शाश्वत विज्ञान अर्थात् समस्त चिकित्सानाम् त्वम् हस्ते उपचार का अन्तर्निष्ट गुण स्वयं मनुष्य के स्वत्व में स्थित है। -लेखक समस्त चिकित्सानाम् त्वम् हस्ते" ईश्वर की महानता का द्योतक है। प्रत्येक मानव को जन्म से ही यह अनुपम वरदान प्राप्त है। परन्तु अज्ञानतावश हम इसका उपयोग नहीं करते हैं। आज संसार में अनगिनत चिकित्सा विधायें है। यदि हम किसी भी चिकित्सा विधि का अध्ययन करते हैं, तो हमारा परिचय विभिन्न रोगों से तथा उनके उपचार हेतु अनेको औषधियों व किन्हीं विशेष प्रक्रियाओं से होता है। किन्तु किसी भी चिकित्सा शास्त्र अथवा प्रक्रिया में रोगी द्वारा वर्णित कारणोपचार पर कोई दिशा निर्देश नहीं है। समस्त चिकित्सा विधान और चिकित्सकगण अपने अनुभवों को ही महत्व देते है। कारण उनके लिये अर्थहीन है। एक यक्ष प्रश्न है? रोग व रोग के कारण में उपचार किस का किया जाना चाहिये ? स्वाभाविक है, रोग के कारण का उपचार ही सर्वोपरि है। आज समस्त विश्व औषधियों की भारी कमी से जूझ रहा है। जीवन रक्षक औषधियों की आपूर्ति न्यून है, तथा अन्य आवश्यक औषधियाँ या तो अप्रचलित हो गई हैं या अत्यधिक मूल्यवान और जन स

काला जादू

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काला जादू, बुरी नजर, श्राप, मंत्र, बुरी आत्माएं और नकारात्मक ऊर्जाएं - ऊर्जा चक्र को बाहर निकालना सभी नकारात्मक तत्वों को बाहर निकालने के लिए एक नया और उन्नत ईसी...। समाशोधन और निष्कासन के लिए इसका प्रयोग करें: - तंत्र मंत्र - बुरी नजर - शाप - मंत्र - ईविल स्पिरिट्स एंड एंटिटीज - विभिन्न नकारात्मक ऊर् सिर्फ प्रभावित लोगों के लिए ही नहीं, रोकथाम के लिए भी आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

मान्यताओं के बंधन और मनुष्य

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क्या आप बन्धन में हो?      एक पुरानी कहानी है कि एक धोबी के पास एक गधा था जिसे वो कपड़े लादकर लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल करता था। एक बार धोबी कपड़े धोने के लिए नदी किनारे आया। गधे की पीठ से कपड़े उतारते वक़्त उसे याद आया कि जिस रस्सी से वो गधे को पेड़ से बांध देता था, वो आज उस रस्सी को लाना भूल गया है। धोबी चिंता में पड़ गया। वो इस चिंता में  ही था कि क्या अब फिर से उसे इतनी दूर जाकर रस्सी लानी होगी क्योंकि नहीं तो मेरे कपड़े धोने जाते ही ये गधा तो कहीं चला जायेगा।       वो ये सब सोच ही रहा था कि उधर से एक आदमी गुज़रा जो समझदार दिखता था। धोबी ने अपनी बात उस से कह डाली और उससे किसी उपाय की आशा करने लगा। उस आदमी ने धोबी की पूरी बात धैर्य से सुनी और उससे कहा कि रस्सी लाने की आवश्यकता नहीं है बस जब रस्सी होने पर तुम जिस प्रकार अपने गधे को बांधते आए हो ठीक उसी प्रकार का अभिनय करो। काल्पनिक रस्सी से गधे को बांध दो। धोबी ने ठीक वैसा ही किया और बिल्कुल वैसे ही अपने गधे को थपथपाया जैसे वो रस्सी मजबूती से बांधने के बाद थपथपाया करता था।      धोबी कपड़े धोता जाता और बीच-बीच में दूर बंधे अपने