वायु मुद्रा

वायु मुद्रा

वायु मुद्रा में तर्जनी उंगली को मोड़कर प्रथम पोरे को अंगूठे से दबाएं।

1. सभी वात रोगों में बहुत ही लाभकारी । वायु के बढ़ जाने से शरीर में पीड़ा होने लगती है , जैसे कि कमर दर्द , सरवाईकल पीड़ा , गठिया , घुटनों का दर्द , जोड़ों का दर्द , एड़ी का दर्द इत्यादि ।
 इन सभी पीड़ाओं में वायु मुद्रा लगाने से कुपित वायु शान्त होती है और फलस्वरूप दर्द में आराम मिलता है।
वायुमुद्रा का अभ्यास रोज 15 मिनट तक लगातार कई दिन करें ।
2. अधिक वायु जोड़ों में द्रव्य को सुखा देती है । जब वायु घुटनों के जोड़ों में घुस जाती है तो दर्द होता है । इसके लिए वायु मुद्रा जोड़ों की पीड़ा में लाभदायक है ।
3. दोनों हाथों की कलाई के मध्य में स्थित वात नाडी में वायु मुद्रा में बन्ध लग जाता है । गर्दन के बाएं भाग में दर्द व जकडन होने से बायें हाथ की कलाई इसी मुद्रा में क्लाक वाईज व एंटी क्लाक वाईज घुमाने से शीघ्र ही चमत्कारी लाभ होता है । इसी प्रकार गर्दन के दाएं भाग की पीड़ा में दाएं हाथ की कलाई घुमाने से लाभ होता है ।
4. गैस के रोगों में भी वायु मुद्रा लाभकारी है ।पेट में जब गैस बढ़ जाती है खाने के बाद बेचैनी होती है । उल्टी करने का मन होता है, अपच की समस्या , तो वायु मुद्रा का प्रयोग करें ।
 बस में यात्रा करते समय वायु मुद्रा करें तो उल्टी की शिकायत नहीं रहती ।
5. वायु मुद्रा में रक्त संचार ठीक होता है , रक्त संचार की गड़बड़ी से होने वाले सभी रोग दूर होते हैं । कि रक्त संचार के ठीक न होने से शरीर में पीड़ा होती है । शरीर के जिस अंग में रक्त की पूर्ति ठीक से नहीं होती , वहन पर पीड़ा होती है, जैसे की हाथों_और_पैरों_का_कंपन , अंगों_का_सुन्न होना , लकवा । ये सभी रोग वायु मुद्रा से बिना दवाई के ठीक हो सकते हैं ।
6 वायु मुद्रा के नियमित अभ्यास करने से ह्रदय की पीड़ा भी शांत होती है , और ह्रदय रोग भी ठीक होता है ।
7. वायु के किसी भी आकस्मिक रोग में 24 घंटे के भीतर ही वायु मुद्रा के प्रयोग से लाभ मिलना आरम्भ हो जाता है ।
8. आयुर्वेद के अनुसार 80 प्रकार के वायु रोग होते हैं , जो सभी वायु मुद्रा से ठीक होते हैं ।
9. असाध्य और चिरकालिक वायु रोगों में  वायु मुद्रा के साथ प्राण मुद्रा का भी प्रयोग करना चाहिए । प्राण मुद्रा से प्राणशक्ति बढती है – आत्मबल एवं आत्म विश्वास बढ़ता है ।
10.  वायु मुद्रा लगाकर करने से यह रक्तवाहिनियाँ लचीली होती हैं , उनकी सिकुडन दूर होती है , जिससे रक्त संचार ठीक होकर ह्रदय रोग दूर होता है।
11. पोलियो में भी  वायु मुद्रा के उपयोग में लाभ होता है।
12. आँखों के अकारण झपकने में भी वायु मुद्रा लाभ करती है ।
13. रुक रुक कर डकार आने पर भी वायु मुद्रा लाभ करती है ।
14.  वायु मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से सुषुम्ना नाड़ी में प्राण वायु का संचार होने लगता है जिससे चक्रों का जागरण होता है।
15. वायु मुद्रा करने से मन की चंचलता समाप्त होकर मन एकाग्रत होता है ।
16. वायु मुद्रा लगाकर  करने से हिचकी कम हो जाती है।
17.वायु मुद्रा के नियमित अभ्यास करने से त्वचा में रुखापन और खुजली दूर हो जाती है ।
18. वायु मुद्रा के साथ साथ दिन में तीन लीटर पानी पीने से वात रोग , गठिया शीघ्र दूर होता है। पानी को उबालकर हल्का गर्म होने पर पीएं।
19. हाथों में सुन्नपन हो तो वायु मुद्रा के साथ ही हाथों के सूक्ष्म व्यायाम करने से चमत्कारी लाभ होगा।
20. वज्रासन में बैठकर वायु मुद्रा करने से जल्दी लाभ मिलता है।
21. शरीर में कहीं भी रोग होता है तो सबसे पहले पीड़ा अथवा सुन्नपन आता है  इन दोनों में वायु मुद्रा अत्यन्त लाभकारी है। अत: वायु मुद्रा से सभी रोगों को आरम्भ में ही समाप्त करने की शक्ति है।

वायु मुद्रा में सावधानियां

 इसे आप अधिक लाभ की लालसा में अनावश्यक रूप से अधिक समय तक नही करें अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है । पीड़ा के शान्त होते ही वायु मुद्रा को खोल दें।
वायु रोगों को दूर करने के लिए गैस व यूरिक एसिड उत्पन्न करने वाले भोज्य पदार्थों का प्रयोग कुछ दिनों के लिए छोड़ दें जैसे राजमा , दालें , मटर , गोभी , पनीर , सोया इत्यादि। दालों का उपयोग करना भी हो तो मूंग साबुत का उपयोग केवल दिन में ही करें।

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