भोजन और हमारा स्वास्थ्य

खाना खाने के बाद पेट में खाना पचेगा या खाना सड़ेगा।इसीपर शरीर का स्वास्थ्य निर्भर करता है।
ये जानना बहुत आवश्यक है कि ...

हमने रोटी खाई, हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने दही खाया
लस्सी पी ,दूध,दही छाछ लस्सी फल आदि|,
ये सब कुछ भोजन के रूप में हमने ग्रहण किया
ये सब कुछ हमको ऊर्जा देता है और पेट उस ऊर्जा को पूरे शरीर में प्रेषित करता है |
पेट में एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते हैं "आमाशय" ,उसी स्थान का संस्कृत नाम है "जठर"|
उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते हैं
" epigastrium "|

यह एक थैली की तरह होता है
और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे
महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी में आता है।

ये बहुत छोटा सा स्थान है
इसमें अधिक से अधिक 350 ग्राम खाना आ सकता है |
हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय में आ जाता है|

आमाशय में अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे"जठराग्नि"।ये जठराग्नि  वो अमाशय में प्रदीप्त होने वाली आग है,जो भोजन को पचाने में सहायक है । ऐसे ही पेट मे होता है जैसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी |
यह ऑटोमेटिक है,जैसे ही आपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह में डाला की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई|
ये अग्नि तब तक जलती है जब तक खाना पचता है |
अब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया|और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते हैं |
अब जो आग (जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी|
आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी|
अब हमेशा याद रखें खाना जाने पर हमारे पेट में दो ही क्रिया होती है,
एक क्रिया है जिसको हम कहते हैं, "Digestion" और दूसरी है "fermentation"
फर्मेंटेशन का अर्थ है सडना
और डायजेशन का अर्थ हे पचना|

आयुर्वेद के अनुसार से आग जलेगी तो खाना पचेगा,खाना पचेगा तो उससे पाचक रस बनेगा|
जो रस बनेगा तो उसी रस से रक्त, माँस, मेद, अस्थि, मज्जा और सबसे अन्त में बनता है शुक्र (वीर्य) बनता है।
ये तभी होगा जब खाना पचेगा|

यह सब शरीर को चाहिए|

ये तो हुई खाना पचने की बात।

अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..? खाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वो हे यूरिक एसिड (uric acid )|कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है,मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है,तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है आप ये दवा खाओ, वो दवा खाओयूरिक एसिड कम करो|

और एक दूसरा उदाहरण

जब खाना सड़ता है, तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हैं
LDL (Low Density lipoprotive)
माने खराब कोलेस्ट्रोल (cholesterol )|

जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको कहता है (HIGH BP )

हाई-बीपी है आप पूछोगे कारण बताओ?

तो वो कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है |

आप ज्यादा पूछोगे की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ?

तो वो आपको कहेगा LDL बहुत है |

इससे भी ज्यादा खतरनाक एक विष हे
वो है VLDL
(Very Low Density lipoprotive)|

ये भी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है।
अगर VLDL बहुत बढ़ गया तो आपको शीघ्रता से स्वास्थ्य को लेकर कार्य करने की आवश्यकता होती है| खाना सड़ने पर और जो जहर बनते है उसमे एक ओर विष है जिसको अंग्रेजी मे हम कहते है triglycerides|

जब भी डॉक्टर आपको कहे की आपका "triglycerides" बढ़ा हुआ हे तो समझ लीजिए की आपके शरीर मे विष निर्माण हो रहा है |

तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे, कोई LDL -VLDL के नाम से कहे समझ लीजिए की ये
विष हे और ऐसे विष 103 है |ये सभी विष तब बनते है जब खाना सड़ता है |

मतलब समझ लीजिए किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए की खाना पच नहीं रहा है।

कोई कहता हे मेरा triglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे डायग्नोसिस कर लीजिए आप ! कि आपका खाना पच नहीं रहा है |

कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे की खाना पच नहीं रहा है |

क्योंकि खाना पचने पर इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता|

खाना पचने के बाद रस, रक्त, माँस, मेद, अस्थि, मज्जा और सबसे अन्त में बनता है शुक्र (वीर्य) बनता हैं जिसका प्रक्रिया ३५ से ४२ दिन है।

और

खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल,LDL-VLDL|

और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है !

पेट मे बनने वाला यही जहर जब
ज्यादा बढ़कर खून मे आते है ! तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे आया है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है
जिसे heart attack कहते हैं !

तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है
की जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए
और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट मे ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए| क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं हे और खाना पकता भी नहीं है

 महत्व की बात खाने को खाना नहीं, खाने को पचाना है |
पचा हुआ भोजन ही शरीर का निर्माण करता है और उसे स्वास्थ्य प्रदान करता है 

आपने क्या खाया कितना खाया वो महत्व नहीं है।

(मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है )

इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पियें!

अब आपके मन मे सवाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना ???

तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना !

अब आप कहेंगे इसका क्या calculation हैं ??

बात ऐसी है !

जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे में मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट में बदलता  है !

पेस्ट में बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है !

उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है !

(बुझती तो नहीं लेकिन बहुत
धीमी हो जाती है )

पेस्ट बनने के बाद शरीर में रस बनने की प्रक्रिया शुरू होती है !

तब हमारे शरीर को पानी की आवश्यकता होती है ।

तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पियें !!

जो बहुत मेहनती लोग हैं (खेत मे हल चलाने वाले ,रिक्शा खींचने वाले, पत्थर तोड़ने वाले)

उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने
लगता है उनको घंटे बाद
पानी पीना चाहिए !

अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं ???

तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं !

अब आप पूछेंगे ये मिनट का calculation ????

बात ऐसी ही जब हम पानी पीते हैं
तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है !

और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है !

तो पानी - पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है !

तो आप खाना खाने से 45 मिनट पहले ही पानी पियें !
पानी न पीयें खाना खाने के बाद।
इसका जरूर पालन करें ।

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