एक कुश्ती जो याद रहे
यह कहावत — “मूर्ख को समझाना सूअर से कुश्ती लड़ने के समान होता है” — सिर्फ़ कटाक्ष नहीं है, बल्कि मानव मनोविज्ञान और व्यवहार की एक गहरी सच्चाई को उजागर करती है। आइए इसे गहराई से, उदाहरणों और जीवन-दृष्टि के साथ समझते हैं। 1️⃣ कहावत का प्रतीकात्मक अर्थ सूअर से कुश्ती कुश्ती में दोनों कीचड़ में उतरते हैं। कुछ देर बाद दोनों गंदे हो जाते हैं, लेकिन सूअर को कोई फर्क नहीं पड़ता, जबकि आप अपनी गरिमा खो बैठते हैं। मूर्ख व्यक्ति से बहस मूर्ख तर्क, तथ्य, अनुभव या सत्य को स्वीकार नहीं करता। वह केवल अपने अहं, जिद और पूर्वाग्रह से संचालित होता है। ➡️ परिणाम यह होता है कि आप थक जाते हैं, मानसिक ऊर्जा खोते हैं, लेकिन उस व्यक्ति में कोई परिवर्तन नहीं आता। 2️⃣ मूर्ख को समझाने में क्यों विफलता मिलती है? 🔹 (क) सुनने की क्षमता का अभाव मूर्ख व्यक्ति: सुनता नहीं, केवल जवाब देने की तैयारी करता है बात को समझने नहीं, जीतने आता है 🔹 (ख) अहंकार की दीवार उसका अहं इतना मजबूत होता है कि: उसे सच से नहीं, अपने सही होने से प्रेम होता है यदि सच मान लिया, तो उसका अहं टूट जाएगा 🔹 (ग) तर्क का अभाव तर्क के बिना संवाद: शोर ...