मान्यताओं के बंधन और मनुष्य

क्या आप बन्धन में हो?

     एक पुरानी कहानी है कि एक धोबी के पास एक गधा था जिसे वो कपड़े लादकर लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल करता था। एक बार धोबी कपड़े धोने के लिए नदी किनारे आया। गधे की पीठ से कपड़े उतारते वक़्त उसे याद आया कि जिस रस्सी से वो गधे को पेड़ से बांध देता था, वो आज उस रस्सी को लाना भूल गया है। धोबी चिंता में पड़ गया। वो इस चिंता में  ही था कि क्या अब फिर से उसे इतनी दूर जाकर रस्सी लानी होगी क्योंकि नहीं तो मेरे कपड़े धोने जाते ही ये गधा तो कहीं चला जायेगा। 
     वो ये सब सोच ही रहा था कि उधर से एक आदमी गुज़रा जो समझदार दिखता था। धोबी ने अपनी बात उस से कह डाली और उससे किसी उपाय की आशा करने लगा। उस आदमी ने धोबी की पूरी बात धैर्य से सुनी और उससे कहा कि रस्सी लाने की आवश्यकता नहीं है बस जब रस्सी होने पर तुम जिस प्रकार अपने गधे को बांधते आए हो ठीक उसी प्रकार का अभिनय करो। काल्पनिक रस्सी से गधे को बांध दो। धोबी ने ठीक वैसा ही किया और बिल्कुल वैसे ही अपने गधे को थपथपाया जैसे वो रस्सी मजबूती से बांधने के बाद थपथपाया करता था।
     धोबी कपड़े धोता जाता और बीच-बीच में दूर बंधे अपने गधे को देखकर आश्चर्यचकित होता जाता कि ये काल्पनिक रस्सी तो काम कर रही है।
     सारे कपड़े धोने के बाद उसने वो कपड़े गधे पर लाद दिए और फिर उसने गधे को ठहाके लगाते हुए कुछ यूं हांका कि 'तू तो सच में गधा है जो रस्सी थी ही नहीं उससे बंधा पड़ा रहा' लेकिन उसके ठहाके तुरंत रुक गए जब गधा आगे बढ़ने को तैयार ही नहीं हुआ। धोबी के बहुत हांकने के बाद भी गधा एक पैर भी आगे बढ़ाने के लिए तैयार नहीं था। धोबी घबरा गया, घबराकर उसने इधर-उधर देखा और पाया कि वही समझदार और पढ़ा-लिखा आदमी वापस आ रहा है। वो आदमी ये सब देख कर रुक गया था। उस आदमी ने कहा कि तुम शायद भूल गए हो कि तुम्हारा गधा बंधा है, उसे ठीक उसी प्रकार खोलो जिस प्रकार हरदिन खोलते आए हो। धोबी एक बार फिर से आश्चर्यचकित हुआ और उसने ठीक उसी प्रकार अपने गधे को खोला जिस प्रकार वो हरदिन उसकी रस्सी खोला करता था और फिर से उसे थपथपाया करता था। ऐसा करते ही गधा अपने रास्ते चल दिया।
    गधे की तरह मनुष्य भी अनेक मान्यताओं की रस्सियों से बंधा हुआ है जिनके कारण वह स्वतंत्र जीवन जीने का अधिकारी होते हुए भी वह अपने को उस गधे के समान बन्धन में मानकर दुःखी रहता है।
तनिक विचार करें कि कहीं आप भी कुछ तरह के काल्पनिक बंधनों में बंधे हो और ये बात जानते ही न हो।

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