सकारात्मक ऊर्जा

 *तनाव मुक्ति व सकारात्मक बनने के सरल उपाय* 

1. जीवन की हर घटना में किसी न किसी रूप से आपको लाभ ही होता है।परोक्ष रूप से होने वाले लाभ के बारे में ही सदैव सोचिये।

२. भूतकाल में हुई भूल व गलतियों का पश्चाताप न करें तथा भविष्य की चिंता न करें।वर्तमान को सफल बनाने के लिए पूरा ध्यान दीजिये।वर्तमान ही आपके हाथ में है।आज रचनात्मक कार्य करेंगें तो कल का पश्चाताप नहीं रहेगा और वर्तमान आनंद से व्यतीत होगा तथा भविष्य में अवश्य रोशन होगा।

3. आप अपने जीवन की तुलना अन्य के साथ कर चिंतित न हों।क्योंकि इस विश्व में आप  महत्वपूर्ण, अनोखे और विशिष्ट हैं।इस विश्व में आपके जैसा और कोई नहीं है।

4. सदैव याद रखिये कि आपकी निंदा करने वाला आपका मित्र है, जो आपसे बिना मूल्य एक मनोचिकित्सक की भांति आपकी गलतियों व आपकी खामियों की तरफ आपका ध्यान खिचवाता है।

5. आप दुख पहुँचाने वाले को क्षमा कर दो तथा उसे भूल जाओ।

6. सभी समस्याओं को एक साथ सुलझाने का प्रयत्न करने की गलती नहीं करें।एक समय पर एक ही समस्या का समाधान करें।समस्या को चुनौती मानें ,समस्या नहीं।

7. जितना हो सके उतना दूसरों के सहयोगी बनने का प्रयत्न करें।दूसरों के सहायक बनने से आप आनन्द में रहेंगे और आप बेकार चिंताओं से मुक्त रहेंगे।

8. जीवन में समस्याओं को देखने का दृष्टिकोण बदलें।दृष्टिकोण को बदलने से आप दुख को सुख में परिवर्तन कर सकेंगें।

9. जिस परिस्थिति को आप नहीं बदल सकते उसके बारे में सोंच कर दुखी मत हों।याद रखिये कि समय एक श्रेष्ठ दवा है।

10. यह सृष्टि एक विशाल नाटक है जिसमे हम सभी अभिनेता हैं।हर एक अभिनेता श्रेष्ठ अभिनय कर रहा है।इसलिए किसी के भी अभिनय को देख कर चिंतित न हों,बल्कि इसका आनंद लें।

11. किसी का बुरा न सोचें तथा बदला न लो, स्वयं को बदलने का प्रयत्न करो।बदला लेने कि इच्छा से तो मानसिक तनाव ही बढ़ता है।स्वयं को बदलने का प्रयत्न करने से जीवन में प्रगति होती है।

12. ईर्ष्या त्यागने से शान्ति मिलती है।ईश्वर का चिंतन करो।ईर्ष्या करने से तो मन जलता है परन्तु ईश्वर का चिंतन करने से मन असीम शीतलता का अनुभव करता है।

14. जब आप समस्याओं का सामना करतें है तो ईश्वर पर निष्ठा रखें और साहस से उसका सामना करें।

15. आपके अन्दर रहा थोडा भी अहंकार मन कि स्थिति में असंतुलन का निर्माण करता है।इसलिए उस थोड़े भी अहंकार का भी त्याग करिये ।याद रखिये कि आप खाली हाथ आयें थे और खाली हाथ ही वापस जायेंगें।

16. दिन में चार पांच बार कुछ मिनट अपने संकल्पों को साक्षी होकर देखने का अभ्यास ,चिंताओं से मुक्त करने में सहायक बनता है।

17. आप अपनी सभी चिंताएं परमपिता परमात्मा को समर्पित कर दीजिये।

यह अभ्यास तनाव एवं चिंताओं को दूर करके स्वास्थ्य में वृद्धि करता है।

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