Satya Reiki and Spirituality: अद्वितीय रचनाकार: आप ही रचनाकार हैं। आप के औज़ार- प्रेम,धैर्य,शांति,कल्पना या धारणा की शक्ति,विचार शक्ति,भाव शक्ति,वेदना शक्ति,अनुभव की शक्ति,निर्णय लेने की ...
एक सरल और सुंदर प्रार्थना,जो पूर्ण मुक्ति की कामना को व्यक्त करती है और आप परम आनंद की अनुभूति कर सकते हैं : ``` हे अगम अगोचर प्रभु, मुझे अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश में ले चलो। मुझे कर्मों के माने हुए बंधनों से मुक्त कर, आत्मा की स्वतंत्रता का अनुभव प्रदान करो। मुझे संसार के मोह-माया से दूर कर, सत्य और धर्म के मार्ग पर चलाओ। मुझे सारी मान्यताओं से मुक्त कर अपनी शरण में ले लो। मेरे हृदय को आनंद, प्रेम, करुणा और शांति से भर दो, ताकि मैं सभी जीव,जंतु,प्रकृति के प्रति दया और संवेदना रख सकूँ। हे परमात्मा, मुझे अहंकार, द्वेष और अविद्या,अज्ञानता से मुक्त कर, मुझे आत्म-साक्षात्कार और ब्रह्मज्ञान प्रदान करो। तुम्हारी कृपा से मैं आत्मज्ञान प्राप्त कर सकूँ, और जन्म-मरण के चक्र के अज्ञान से सदा के लिए मुक्त हो सकूँ। ओम् शांति शांति शांति। ``` इस प्रार्थना को अपने दैनिक साधना में शामिल कर आप आत्मिक शांति और मुक्ति की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
आत्मनिष्ठ होना क्या होता है? आत्मनिष्ठ होने का अर्थ है अपने स्वयं के अनुभव, विचार, और सत्य की खोज में केंद्रित रहना। इसका तात्पर्य बाहरी प्रभावों, समाज की मान्यताओं या अन्य लोगों की अपेक्षाओं से प्रभावित हुए बिना अपनी स्वयं की आंतरिक अनुभूति और समझ के आधार पर जीवन जीना है। यह आत्मसाक्षात्कार की ओर बढ़ने का एक चरण भी हो सकता है, जहाँ व्यक्ति बाहरी सत्य के बजाय अपने भीतर के सत्य को पहचानने और अनुभव करने का प्रयास करता है। आत्मनिष्ठ व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं और क्रियाओं के प्रति सजग होता है और उन्हें बाहरी मानकों से नहीं, बल्कि अपनी आंतरिक बुद्धि, आत्म-निरीक्षण और अनुभव के आधार पर परखता है। ध्यान और आत्म-निरीक्षण की साधना आत्मनिष्ठ बनने में सहायक होती है, क्योंकि इससे व्यक्ति अपने मन, विचारों और वास्तविक स्वरूप को अधिक गहराई से समझ सकता है। आत्मनिष्ठ कैसे बनें? आत्मनिष्ठ होने के लिए व्यक्ति को अपने भीतर की गहराइयों में उतरना होता है और बाहरी प्रभावों से स्वतंत्र होकर स्वयं को पहचानना होता है। यह एक सतत अभ्यास है जिसमें ध्यान, आत्म-निरीक्षण और आंतरिक सजगता की आवश्यकता होती ...
गुंजन योग, जिसे "नाद योग" भी कहा जाता है, ध्वनि और कंपन पर आधारित एक योग विधि है। इसके लाभ निम्नलिखित हो सकते हैं: 1. **मानसिक शांति**: ध्वनि और कंपन के माध्यम से मन को शांत करने में मदद करता है। 2. **ध्यान में सुधार**: ध्यान की अवस्था को गहरा करने में सहायक होता है। 3. **तनाव में कमी**: नियमित अभ्यास से तनाव और चिंता कम हो सकती है। 4. **आंतरिक संतुलन**: शरीर और मन के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद करता है। 5. **चक्र जागरण**: शरीर के चक्रों को जागृत करने में सहायक होता है। 6. **आध्यात्मिक विकास**: आत्म-ज्ञान और आध्यात्मिक विकास में सहायता करता है। ये लाभ व्यक्ति विशेष के अनुभव और अभ्यास की गहनता पर निर्भर कर सकते हैं। गुंजन योग करने के लिए निम्नलिखित विधियों का पालन किया जा सकता है: 1. **शांत और आरामदायक स्थान चुनें**: एक ऐसा स्थान चुनें जहां आप बिना किसी व्यवधान के बैठ सकें। 2. **आरामदायक स्थिति में बैठें**: सुखासन (क्रॉस-लेग्ड पोज़) या पद्मासन (लोटस पोज़) में बैठें। रीढ़ को सीधा रखें और हाथों को घुटनों पर रखें। 3. **साँसों पर ध्यान केंद्रित करें**: कुछ गहरी साँ...
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