सँसार में कैसे रहें?

प्रिय मित्रों,
 विश्व में घट रही अंधेरी,नकारात्मक घटनाओं से अपना संतुलन न बिगाड़ें, न घृणा करें, न इनकार करें। जोहै, सो है। यह घटनाएं मानव मन की अनसुलझि भावनाओं के संदर्भ में, जो लोगों के अंतरमन में मौजूद है, उसकी अभिव्यक्ति और सामूहिक (उप-) चेतना की गहराई से गैर-सामंजस्यपूर्ण सोच का परिणाम है। 
आप एक ईमानदार प्रयास अवश्य कर सकते हैं,अपने भीतर के युद्धों और द्वंदों को सुलझाने के लिए, उन लोगों के साथ शांति बनाएं। जिनके साथ आपने मुश्किल समय बिताया है।
आपका जीवन (इसका मतलब यह नहीं है कि उन्होंने आपके साथ जो किया या जो उन्होंने आपसे कहा, उससे आप ठीक मानें,
लेकिन उचित समझ यह हो कि अब आप उन सभी यादों के जहरीले बोझ को अपने साथ नहीं ले जाना चाहते हैं)। ईमानदारी से देखें अपने स्वयं के छाया टुकड़ों को (जो कि हम सभी के पास हैं) और उन्हें हल करें (उन्हें ले आओ प्रकाश में, हर बार खुद को थोड़ा बेहतर देखना शुरू करें)।
जब प्रत्येक व्यक्ति अपनी नकारात्मक भावनाओं और विचारों की जिम्मेदारी लेना सीखता है और
उन्हें मुक्त करें, तो किसी और पर हमला करने की ज़रूरत नहीं होती है, क्योंकि उनकी राय अलग है,
क्योंकि वे चीजों को थोड़ा अलग तरीके से देखते हैं, क्योंकि वे अपने अनूठे रास्ते पर चलते हैं। फिर सब
वह स्वयं के साथ सामंजस्य रखता है, वह अपने बारे में अच्छा महसूस करता है, और तब दुनिया में शांति होती है। 
आप जानिए, दुनिया में शांति की शुरुआत आपके भीतर शांति से होती है। पहले से कहीं अधिक, खड़े होने की हिम्मत करें और जाने दें।
आपका प्रकाश चमकता है, आप जो हैं वह बनने का साहस करें और कम के लिए समझौता न करें। 
भीड़ में डरकर मत छिपो,हमले के डर से अपना सिर झाड़ी के नीचे न रखें, और अपनी उच्च ऊर्जा न खोएं।
 जो अज्ञानता से आपको या आपके मार्ग को अमान्य करना चाहते हैं,उनसे धैर्य से अपना बचाव करें।

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