जल पर भावनाओं का प्रभाव

विचारों का शरीर पर प्रभाव
जब आप भ्रूण अवस्था में थे तब आप 99.9% पानी में थे। जब जन्म हुआ तब 90% पानी में थे। वयस्क अवस्था में 70% पानी हमारे सबके शरीर में रहता है व वृद्धावस्था में करीब 50% पानी हमारे शरीर में रहता है। 
     इस प्रकार जीवन की अधिकांश अवस्थाओं में पानी हमारे शरीर का मुख्य हिस्सा रहता है ।
जापान के डॉक्टर  श्री मसारू मोटो ने अपनी वैज्ञानिक खोज से व पानी के कणों की फोटो लेकर यह प्रमाणित किया है कि पानी के कण मधुर संगीत पर अच्छी प्रतिक्रिया दर्शाते हैं जबकि कठोर बेहूदे सुरों पर पानी के कणों का ढांचा खराब हो जाता है। उन्होंने अलग-अलग वातावरण बना कर जबप्रयोग किये और पानी के कणों के चित्र लिये तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा कि खुशी, सत्य, प्रेम व कृतज्ञता के लिये पानी के कणों ने सुंदर षटकोण बनाया।। https://youtu.be/1qQUFvufXp4
    (देखें वीडियो) 
जबकि जब इन्हीं पानी के कणों को एक कागज पर 'बेवकूफ' लिखकर उस जार पर लपेट दिया जिसमें यह पानी था तो क्रिस्टल की तस्वीर टेड़ी मेड़ी व वीभत्स सी बनी। थैन्कयू लिखने पर क्रिस्टल की तस्वीर आकर्षक बनी।
इससे यह सिद्ध होता है कि शब्दों का अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव पानी पर होता है।
      हम सब जानते हैं कि सकारात्मक शब्दों व विचारों का हमारे मन व शरीर पर सकारात्मक असर होता है। पर अभी तक भौतिक रूप से इसको दर्शाया नहीं गया था कि शब्दों का असर किस प्रकार होता है।

शब्दों का पानी के ऊपर जो असर देखा गया है वह चौंकाने वाला है क्योंकि हमारा शरीर 70% पानी से बना है। अच्छे शब्द, अच्छे विचार, अच्छे भाव हमारे शरीर के पानी की बनावट ही बदल देते हैं इसीलिये हमें खुशी व आनन्द महसूस होता है। जबकि नकारात्मक विचार, शब्द हमारे शरीर के पानी का स्ट्रक्चर ही बदल देते हैं।
अगर हम अपने हृदय को प्रेम व धन्यवाद से भर दें तो हमारे चारों ओर प्रेम व खुश रहने वाले लोग ही रहेंगे और हम खुशी व स्वास्थ्य से भरा जीवन जी पायेंगे। तो विचार करें कि हमें अपने विचार निरंतरता व सजगता से सकारात्मक रखने की कितनी आवश्यकता है। इसके लिये जब भी नकारात्मक विचार या भाव मन में जगे तो याद करें कि यह हमारे शरीर के पानी को जहर बना रहा है,तो तुरंत मन ही मन उस विचार को निरस्त कर दें।फिर अपने जीवन के उस समय को याद करें,अनुभव करें जब आप खुश थे। कोई ऐसा कार्य,विचार करें।जो आपको आनंद से भर दे। किसी
रोते हुये बच्चे को हंसा दे । किसी की मदद करे और अपने अंदर सकारात्मक विचार व भाव पैदा करें और खुश रहें । धन्यवाद दें ईश्वर को उन उपहारों के लिये जो उसने आपको दिये है और निरंतर स्वस्थ रहें।
प्रातः उठते ही और सोने से पूर्व ईश्वर को धन्यवाद देने  का अभ्यास करने से भी आप सकारात्मक रह सकते हैं।
एक काम और कर सकते हैं कि भोजन करने के पूर्व भोजन को, ईश्वर को, व अन्य सहायकों को हृदय से धन्यवाद दें। इससे भोजन में उपस्थित पानी भी आपके शरीर में जाकर सकारात्मक प्रतिक्रिया करेगा।
दिन भर हर बार पानी पीने से पहले एक मिनट पानी का ग्लास हाथ में लेकर पानी को धन्यवाद देते हुए रेकी से पानी को ऊर्जा दें फिर पानी पियें, इससे आप उर्जित जल ग्रहण करेंगे और सरलता से स्वस्थ रह पाएंगे।आप रेकी उपचारक हैं तो पानी को रेकी से उर्जित कर पीने का अभ्यास करें।क्या यह लेख पढ़कर सकारात्मक भाव या विचार आया है तो कृपया उसे भी धन्यवाद दें। स्वयं प्रयोग करके देंखे कि सकारात्मक उर्जित जल पीने  से क्या होता है?।जीवन कितना सुखमय होता है। जीवन अनमोल है इसको खुशी से जियें ।

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