स्वांस का आना जाना

*अभी तक खोजे गए मन्त्रो में से सबसे गहरा मन्त्र है-*

*"श्वास लेना और छोड़ना"* 
                        
*श्वास भीतर जाती है, इसका आपके प्राणों में पूरा बोध हो कि श्वास भीतर जा रही है। श्वास बाहर जाती है, इसका भी आपके प्राणों में पूरा बोध हो कि श्वास बाहर जा रही है।और आप पाएंगे कि भीतर एक गहन शांति उतर आई हैं।*

यदि आप श्वास को भीतर जाते हुए और बाहर जाते हुए,भीतर जाते हुए और बाहर जाते हुए देख सकें, तो यह अभी तक खोजे गए मन्त्रो में से सबसे गहरा मन्त्र हैं।

श्वास हमेशा वर्तमान में हैं। हम अतीत में श्वास नही ले सकते और न ही भविष्य में श्वास ले सकते हैं। श्वास लेना हमेशा इसी क्षण में हैं। लेकिन हम अतीत के बारे में सोच सकते हैं और हम भविष्य के बारे में सोच सकते हैं। 

शरीर तो वर्तमान में होता हैं, लेकिन मन अतीत और भविष्य के बीच झूलता रहता हैं। और शरीर और मन के बीच में एक विभाजन पैदा हो जाता हैं। शरीर वर्तमान में रहता हैं और मन कभी भी वर्तमान में नही रहता हैं।और वे कभी भी मिलते नही, वे कभी एकदूसरे के सामने नही आते। और उसी विभाजन के कारण विषाद, चिंता, और तनाव पैदा होते हैं। 
अनेक तनावग्रस्त हैं, वह तनाव ही चिंता हैं मन को वर्तमान में लाना हैं, क्योंकि वर्तमान के अतिरिक्त दूसरा कोई समय है ही नही।
ओशो
ऑरेंज बुक
*नोट:-यह क्रिया मुस्कराहट के साथ करें।*

Comments

Popular posts from this blog

रेकी दिनचर्या

काला जादू

चमत्कारी स्वर विज्ञान